बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद बर्खास्त किये गये विवि कर्मचारी को 9 साल बाद न्याय मिला है। अपने पक्ष में आये आदेश को देखने वह खुद इस दुनिया में नहीं हैं। हाईकोर्ट ने उनके उत्तराधिकारी को सम्पूर्ण स्वत्व का भुगतान करने का निर्देश विवि को देते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश रद्द किया है।
पंतराम सूर्यवंशी की नियुक्ति गत वर्ष 1994 में प्यून कम प्लंबर के लिए हुई थी। 2008 में इन्हें प्लम्बर पदोन्नत कर दिया गया। केन्द्रीय विवि में आने के बाद 11 अगस्त 2011 को आरोप पत्र देकर जवाब माँगा गया। इसमें अधिकारीयों से दुर्व्यवहार जैसे आरोप लगाये गए थे। विभागीय जांच के दौरान जांच अधिकारी ने उनसे प्रश्नोत्तर के पैटर्न पर सवाल किये। इसके बाद रिपोर्ट विवि को सौंप दी गई। इस मामले में कुलपति ने अनुशासनिक अधिकारीके रूप में इन्हें बर्खास्त कर दिया, जबकि यह कुल सचिव का क्षेत्राधिकार होता है । इससे परेशान होकर वर्ष 2014 में रिट याचिका दायर की गई। इस बीच वर्ष 2021 में याचिकाकर्ता की मृत्यु हो गई। इसके बाद इनके विधिक उत्तराधिकारी को केस में शामिल किया गया। याचिका में कहा गया कि, जांच अधिकारी ने प्रश्नोत्तर पैटर्न में सवाल पूछकर नियम विपरीत काम किया है। इसी तरह कुलपति ने भी जो आदेश दिया उसका उन्हें अधिकार नहीं था।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रजनी दुबे ने पंतराम सूर्यवंशी के बर्खास्तगी आदेश को रद्द करते हुए उनके उत्तराधिकारी को उन्हें स्वीकृत समस्त देयकों का भुगतान करने का निर्देश विवि प्रशासन को दिया है।