बिलासपुर। स्थायी लोक अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए जगदलपुर नगर-निगम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में लोक अदालत द्वारा किए गए जुर्माने पर रोक लगाने की मांग की है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नगर निगम जगदलपुर के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शहरी सीमा के भीतर लगे हुए बैरियर को हटाने के बाद कर्मचारियों की लापरवाही के कारण वहां ठूंठ रह गया था। इसी ठूंठ में आवेदनकर्ता का चार पहिया वाहन फंसा और वाहन का गेयर बाक्स क्षतिग्रस्त हो गया। निगम की लापरवाही के चलते हुए नुकसान की भरपाई को लेकर वाहन चालक ने स्थायी लोक अदालत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। प्रकरण की सुनवाई के दौरान स्थायी लोक अदालत ने निगम की लापरवाही मानते हुए आवेदनकर्ता को बतौर क्षतिपूर्ति 10 हजार का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसे जगदलपुर नगर निगम ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
निगम की लापरवाही का खामियाजा जनता क्यों भुगते
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि स्थायी लोक अदालत ने कितना जुर्माना किया? अधिवक्ता ने बताया 10 हजार रुपए। कोर्ट ने पूछा फिर दिक्कत क्या है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शहर की व्यवस्था को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। निगम से लोगों को अपेक्षाएं भी रहती है। लापरवाही का खामियाजा लोग भुगतेंगे तो शिकायत तो होगी ही। कोर्ट ने माना है कि निगम की उपेक्षा से कोई घटना होती है तो इस के लिए निगम ही जिम्मेदार होगा। कोर्ट ने कहा कि अगर हम स्थायी लोक अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए आपकी याचिका खारिज कर देते हैं तब ऐसी स्थिति में जुर्माने की राशि अदाएगी बीमा कंपनी के खाते में जाएगी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा तो नहीं है। इस पर निगम के अधिवक्ता ने कहा कि स्थायी लोक अदालत के फैसले के बाद निगम ने जुर्माने की राशि का भुगतान कर दिया तो यह परंपरा ही बन जाएगी।