बिलासपुर। हाईकोर्ट ने रायपुर के विधानसभा मार्ग में सड़कों के किनारे भारी वाहनों के जमावड़े, खस्ताहाल सड़कें और बंद स्ट्रीट लाइट पर नाराजगी जाहिर की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पूछा कि बदहाल सड़कों पर वीवीआईपी सुरक्षा व्यवस्था के साथ आना जाना करते हैं। लेकिन आम आदमी भी इस सड़क से गुजरते हैं, उनकी सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा? नाराज कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को रखी गई है।
रायपुर के विधानसभा मार्ग की सड़क जगह-जगह से खराब है। भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण पूरे समय धूल का गुबार उड़ते रहता है। दाेपहिया वाहन चालकों को इससे पूरे समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। हाईकोर्ट इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारियों से पूछा कि इस मार्ग पर वीवीआईपी से लेकर अधिकारियों, कर्मचारियों व आम लोग आना जाना करते हैं। वीवीआईपी की अपनी अलग सुरक्षा व्यवस्था है। लिहाजा वे आसानी के साथ इस मार्ग से आना जाना करते हैं। सरकारी कर्मचारी और आम लोगों की सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान कौन रखेगा।
शपथपत्र के साथ जवाब देने के निर्देश
नाराज चीफ जस्टिस ने पूछा कि सड़कों के किनारे वाहनों के खड़े होने और सड़क को खाली रखने मापदंड हैं या नहीं। यह नेशनल हाइवे है या स्टेट हाइवे।चीफ जस्टिस ने फिर सवाल दागा कि सड़कों पर वाहनों को किस आधार पर और किन नियमों तक खड़ा करने की अनुमति दी जा रही है। इसकी देखरेख और व्यवस्था बनाने के लिए विभाग है या नहीं। अगर दुर्घटना घट जाए तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि सड़कों की हालत कब तक सुधर जाएगी। खंभों पर बिजली कब तक लगेगी और सड़कों के किनारे खड़े भारी वाहन कब तक हटा लिए जाएंगे। इस संबंध में राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जवाब देने कहा गया है।