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ध्वनि प्रदूषण: कोर्ट ने कहा आम आदमी करेगा क्या? ऐसा लगता है लॉ एंड ऑर्डर रह ही नहीं गया है, सभी कलेक्टर को दी चेतावनी

 


बिलासपुर। हाई कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान में ली गई ध्वनि प्रदूषण से संबंधित जनहित याचिका की सुनवाई 13 दिसम्बर को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ के समक्ष हुई।

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा की बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों के कारण वो  नई तारीख चाहते है। कोर्ट ने कहा कि नियमों और आदेशों का पूरी तरह पालन करायें  

डीजे द्वारा देर रात तक किये जा रहे ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट ने कहा आम आदमी करेगा क्या? ऐसा लगता है लॉ एंड ऑर्डर रह ही नहीं गया है। कोर्ट ने कहा कि डीजे बजाने पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसके नियमों का पालन नहीं हो रहा है और अभी भी डीजे बजाने की घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन नहीं करा रहा है। कोर्ट ने सभी जिला कलेक्टर को आदेश किया कि ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट के आदेशों और नियमों का शब्द: और भावना अनुरुप पालन करें और अगर नहीं करेंगे तो हम मानेगें कि जिला कलेक्टर इसका पालन नहीं करना चाहते। आदेश की प्रति सभी जिला कलेक्टर को भेजने के आदेश दिए हैं।

रायपुर की सिंगापुर सिटी के बाजू में रहने वाले अमित मल ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि सिंगापुर सिटी के मरीना क्लब में डांडिया खेलने के दौरान बहुत ध्वनि प्रदूषण किया गया तथा पुलिस को शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

प्रकरण की अगली सुनवाई 17 जनवरी 2024 को रखी गई है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति द्वारा भी गणेश और दुर्गा विसर्जन दे दौरान डीजे. द्वारा ध्वनि प्रदूषण को लेकर, स्वत संज्ञान में ली गई इस याचिका में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। समिति के डॉ राकेश गुप्ता और विश्वजीत मित्रा ने बताया कि समिति कई वर्षों से ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध आवाज उठा रही है।

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