मासूमों की मुस्कान बनाना है हमें, नेत्रहीनों की ज्योति बनाना है हमें, सदियों तक याद रखे जिसे जमाना, ऐसी सेवा की दास्तान बनाना है हमें, इन पंक्तियों को अपना मूल मंत्र बनाकर शोभा टाह फाउंडेशन लगातार लोक कल्याण के कार्य में प्रगतिशीलता के साथ अग्रसर है. फाउंडेशन का यह प्रयास है उन लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए जो भावों के कारण मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं।
शोभा टाह फाउंडेशन ने इसे अपना मिशन बनाकर समाज के ऐसे वर्ग को छुआ है और उनके जीवन को सुगम बनाने का प्रयास किया है. चाहे वह निशुल्क रक्त की जांच हो या फिर कई जटिल बीमारियों का निशुल्क इलाज उपलब्ध कराना, संस्था ने प्रयास किया है कि हर व्यक्ति के जीवन से समस्याएं दूर हो।
संस्थान के संस्थापक श्री अनिल टाह ने बताया कि इस बार शोभा टाह फाउंडेशन ने एक ऐसे गंभीर विषय को छुआ है. जिसके बारे में लोग जागरूक नहीं है. यह विषय है सिकल सेल की बीमारी का. सिकल सेल शिशु को मां के गर्भ में ही हो जाता है.
जिसके कारण इस बीमारी का पता नहीं लग पाता और उसे अपने जीवन काल में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस बीमारी में बार-बार मरीज को ब्लड लगाना पड़ता है जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ता है. शोभा टाह फाउंडेशन ने निश्चय किया है कि न सिर्फ इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए, बल्कि इसका इलाज भी उन्हें गौर बोस मेमोरियल सिकल सेंटर के माध्यम से निशुल्क उपलब्ध कराया जाए।
देश का पहला सिकल सेल सेंटर है गौर बोस मेमोरियल
गौर बोस मेमोरियल सिकल समाधान केंद्र देश का पहला सिकल सेंटर है जहां एक ही छत के नीचे सिकल की हर समस्या का समाधान बिना लाभ लिए किया जा रहा है।
पिछले 30 वर्षों से यहां सिकल के मरीजों की देखभाल की जा रही है। इस अनुभव के आधार पर हम उन्नत तकनीक से सिकल का इलाज करने में कामयाब हो रहे हैं। देर से डायग्नोसिस व समय पर सही इलाज न मिलने पर सिकल के मरीजों को बार-बार इन्फेक्शन दर्द क्राइसिस ,व खून की कमी होने से अस्पताल में बार-बार भर्ती होना व ब्लड लगाना पड़ता था जिससे घर की आर्थिक स्थिति भी खराब होती थी और दैनिक जीवन में भी सिकल के मरीज थके हुए बीमार से रहते थे और परिवार वालों पर बोझ हुआ करते थे। अब गौर बोस सेंटर में कम्प्रेहैन्सिव केयर के माध्यम से लगभग 2000 सिकल सेल के मरीजों का इलाज किया जा रहा है, और अब सिकल पेशेंट बेहतरीन जिंदगी जी रहे हैं।