बिलासपुर। सिरगिट्टी के आवासीय क्षेत्र में खाली जमीन पर कारखानों के बचे अवशेष जलाने से हो रहे प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने कड़ाई की है। स्वतः संज्ञान लेकर कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर शपथपत्र पर जवाब माँगा है। अगली सुनवाई 9 जनवरी को है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वयं संज्ञान लेकर हाईकोर्ट रजिस्ट्री को धुएं के प्रदूषण और प्रदूषित अपशिष्ट खाने से मवेशियों की मौत पर पीआईएल दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद यह मामला चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में प्रस्तुत किया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस औद्योगिक इलाके में जो कुछ हो रहा है, उसकी जवाबदारी प्रशासन की ही है। लोग जहरीले धुएं से बीमार हो रहे हैं। यहाँ पर मवेशी पॉलिथीन और केमिकलयुक्त मटेरियल खाते हैं, जिससे उनकी मौत हो रही है। लंबे समय से यह समस्या होने के बाद भी इस सिलसिले में शासन ने कुछ नहीं किया। यह घोर लापरवाही है। सरकारी अफसर ही इसके लिए जवाबदार हैं। सुनवाई के बाद डीबी ने मुख्य सचिव को इस बारे में एक विस्तृत लिखित शपथपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसमें बताना होगा कि, जनता और पशुओं की जान से हो रहे खिलवाड़ को रोकने शासन क्या कार्रवाई करेगा।
सिरगिट्टी इलाके में खाली जमीन पर कारखानों के बचे अवशेष डम्प किए जाने के साथ ही उन्हें आग के हवाले भी किया जा रहा है। अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। आसपास की आवासीय बस्तियों के रहवासियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके बाद भी आज तक कोई भी कार्रवाई पर्यावरण विभाग द्वारा नहीं की गई, और न ही स्थानीय प्रशासन ऐसे उद्योगों के मालिकों पर कोई कार्रवाई कर रहा है।