बिलासपुर। अरपा नदी समेत प्रदेश क अन्य इलाकों में हो रहे मिट्टी और रेत के अवैध उत्खनन पर सोमवार को प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन हाईकोर्ट में उपस्थित हुए और शपथपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने माना कि अंबिकापुर सहित कई जगह मुरुम का अवैध खनन हो रहा है। सरगुजा कलेक्टर ने भी मामले में शपथपत्र दिया है। प्रकरण की अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।
इससे पूर्व जनहित याचिका की सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने राज्य शासन के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब मांगा था। सोमवार को मुख्य सचिव ने अपना शपथपत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरगुजा स्थित पहाड़ से 30 हजार मीट्रिक टन मुरुम का खनन कर लिया गया है। इसे रोकने शासन योजना पूर्वक काम करेगा। सरगुजा के जिला कलेक्टर ने भी अपना शपथपत्र देकर खनन को रोकने के लिए कारवाई करने की बात कही है।
उल्लेखनीय है कि अम्बिकापुर के महामाया पहाड़ के वृहद क्षेत्र में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। पिछले 15 दिनों में पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा समतल मैदान में तब्दील हो गया है। लुचकी पहाड़ में सुबह से ही जेसीबी वाहनों की मदद से पहाड़ के हस्से से मुरुम का उत्खनन किए की खबरें लगातार सामने आईं थीं। हाईकोर्ट ने इसे संज्ञान में लिया है। शिकायत के मुताबिक अवैध उत्खनन करने वाले लोगों ने यहां पहुंचने के लिए खुद भी रास्ता बना लिया है। पहाड़ के इस हिस्से में भीतरी क्षेत्र से तैयार अंदररूनी अस्थाई रास्ते के चलते सामान्य तौर पर मुख्य मार्ग से गुजरने वाले लोगों को इस अवैध काम का आभास नहीं हो पाता। इस काम में बड़े माफियाओं की संलप्तिता के साथ यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि यह मामला सिर्फ अवैध उत्खनन का नहीं, बल्कि इसके जरिए सुनियोजित तरीके से अवैध कब्जे की साजिश हो रही है।
बच्चियों की मौत पर कार्रवाई पर भी जानकारी मांगी है कोर्ट ने
अरपा नदी में डूबकर तीन बच्चियों की मौत के मामले में स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर भी हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने बच्चियों की मौत को लेकर पूर्व में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश पर पिछली सुनवाई में उप संचालक खनिज बिलासपुर ने शपथपत्र प्रस्तुत कर दिया था। इसमें दोषी रेत ठेकेदार के मामले में जांच रिपोर्ट भी शामिल है। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने बच्चियों के मामले में पहले बताए गए चार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी पुलिस प्रशासन को दिए थे। हाईकोर्ट ने इस पर शासन के मुख्य सचिव से यह जानना चाहा है कि सरकार अवैधानिक खनन को लेकर कितनी गंभीर है।कोर्ट ने इसके लिए माइनिंग सेक्रेटरी को शपथपत्र पर लिखित जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।