बिलासपुर। गांवों में विद्युतीकरण की केंद्र सरकार की योजना अफसरों ने ही नाकाम कर दी। गड़बड़ी पर हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए विभाग के सचिव से पुछा है कि,कलेक्टर की जांच समिति ने क्या कार्रवाई की?
प्रधानमन्त्री ग्रामीण विद्युत योजना के तहत कोंडागांव इलाके में 280 करोड़ की लागत से स्ट्रीट लाइट लगाने का काम स्वीकृत किया गया। राज्य शासन के माध्यम से आरईएस विभाग को यह काम सौंपा गया था। स्ट्रीट लाइट की जगह घटिया स्तर की सोलर लाइट लगा दी गई। एक ही दिन में बिल जारी हो गया और ठेकेदार को भुगतान भी उसी दिन कर दिया गया। इस मामले को स्थानीय विधायक केदार कश्यप ने विधानसभा में उठाया तो बताया गया कि, अभी भुगतान नहीं हुआ है। इसे लेकर आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक संचालक संकल्प साहू ने आपत्ति भी की थी। कलेक्टर ने जांच समिति गठित कर जांच कराई। समिति ने आपत्तिकर्ता को ही अभियुक्त बना दिया। इसे याचिकाकर्ता ने एडवोकेट अनिमेष वर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के बाद जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की सिंगल बेंच ने राज्य शासन से जवाब माँगा है कि, कलेक्टर की जांच समिति ने अब तक क्या कार्रवाई की है।