बिलासपुर। हाईकोर्ट में ऋचा जोगी की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता गैरीमुखोपाध्याय ने उस याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया जिसमें ऋचा जोगी ने जाति प्रमाण पत्र खारिज किये जाने को चुनौती दी है। ऋचा की ओर से बाद में एक नई याचिका पेश करने की बात भी कही गई। शिकायतकर्ता संतकुमार नेताम की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने याचिका वापस लिये जाने को स्वयं के हानि लाभ के आधार पर होना बताते हुए कोई आपत्ति नहीं की। हाई कोर्ट की खण्डपीठ जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत ने याचिका वापसी का आग्रह स्वीकार करते हुए याचिका को निराकृत कर दिया।
उल्लेखनीय है कि 2020 में ऋचा जोगी ने जिला स्तरीय छानबीन समिति द्वारा उनके जाति प्रमाण पत्र को निलंबित किये जाने और अन्तिम निर्णय के लिए प्रकरण को राज्य स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के पास भेजे जाने के खिलाफ याचिका प्रस्तुत की थी। इस याचिका में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति को दिये गये अधिकारों और इस संबंध में बनाये गये नियमों की संवैधानिकता को भी चुनौती दी गई थी। प्रकरण में हाई कोर्ट के द्वारा नोटिस जारी किया गया था और कोई स्टे आदेश नहीं दिया गया था। कालान्तर में राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने पूर्ण सुनवाई कर ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया था। इस निर्णय के विरूद्ध पहले ऋचा जोगी वर्तमान में ही लंबित याचिका में संशोधन करना चाहती थी। परन्तु लम्बे समय बितने पर भी कोई संशोधन याचिका प्रस्तुत नहीं की गई।
राज्य स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति ने अपने निर्णय में यह बताया है कि ऋचा जोगी के द्वारा स्वयं ही बालिग होने पर मुंगेली तहसील में कई जमीनों की बिक्री की है जिसमें उन्होंने स्वयं को गैर आदिवासी घोषित किया है। प्रकरण के अन्य तथ्य भी ऋचा जोगी के आदिवासी होने के दावे का समर्थन नहीं करते। इस तरह के मामलों में सबूत का भार उसी व्यकित के पास होता है जो अपने आपको आदिवासी होने का दावा कर रहा है और इसे साबित करने में ऋचा जोगी विफल रहीं। ऋचा जोगी के अधिवक्ता के अनुसार वे अब एक नई याचिका प्रस्तुत कर राज्य स्तरीय छानबीन समिति के आदेश को चुनौती देंगे।