बिलासपुर। पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर के रिश्तेदार की कंपनी द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। नवा रायपुर में कंपनी को मिले 210 करोड़ के टेंडर को राज्य शासन ने रद कर दिया है। जिन दस्तावेजों के आधार पर ठेका कंपनी ने करोड़ों का ठेका हासिल किया था, उसकी तकनीकी दक्षता ही पूरी नहीं की है। ठेका निरस्त करने के साथ ह राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में केविएट दायर कर दिया है। मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है।
अलग - अलग कार्यों के लिए टेंडर जारी किया गया था। टेंडर जारी करने के साथ ही ठेका कंपनी को वर्क आर्डर भी जारी कर दिया गया था। राज्य में भाजपा की सरकार काबिज होने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान विकास कार्य के नाम पर की गई गड़बडिय़ों की दस्तावेजी प्रमाण के साथ शिकायत दर्ज कराई गई है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद राज्य शासन ने जांच बैठा दिया था। नवा रायपुर में 210 करोड़ रुपये के टेंडर को राज्य शासन ने निरस्त कर दिया है। आवास एवं पर्यावरण विभाग के अलावा नवा रायपुर विकास प्राधिकरण ने रायपसुर कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (आरसीपीएल) पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। टेंडर रद करने के बाद नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) ने ठेका कंपनी के खिलाफ हाई कोर्ट में केविएट दायर किया है। एनआरडीए ने दायर केविएट में ठेका कंपनी द्वारा याचिका दायर करने और उसकी याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला देने से पहले पक्ष रखने की मांग की है। मालूम हो कि 210 करोड़ रुपये के कार्यों के टेंडर निरस्त होने के मामले में कंपनी ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। दायर केंविएट में केविएटर एनआरडीए ने कहा है कि नोटिस जारी होने के बाद भी कंपनी ने अपना पक्ष नहीं रखा है। सात दिन बीतने के बाद कंपनी को दी गई समय-सीमा भी खत्म हो जाएगी। इसके बाद एनआरडीए कंपनी पर एकतरफा कार्रवाई के लिए बाध्य हो जाएगी। 18 जनवरी को सबूतों और शिकायतों के आधार पर राज्य शासन की ओर से ठेका कंपनी पर कार्रवाई की गई थी।