बिलासपुर। हाईकोर्ट ने सिम्स के डीन को शपथपत्र के साथ जवाब देने के निर्देश दिए हैं। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) द्वारा दवा सप्लाई नहीं करने पर लगभग 70 लाख रुपए की दवा लोकल पर्चेसिंग के माध्यम से सिम्स ने उधार में खरीद ली थी। हाईकोर्ट ने सीजीएमएससी को सरकारी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध कराने के मामले में नाकाम साबित होने पर नोटिस जारी किया है। जवाब के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने तीन सप्ताह का समय मांगते हुए बताया कि दोनों ही सरकारी विभाग हैं और इस मामले में मिलकर काम किया जा रहा है। यह भी बताया गया कि सिम्स के पास दवाईयों की खरीदी के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की राशि है।
सिम्स और जिला अस्पताल में कई जरूरी दवाइयां न होने के कारण मरीजों को दिक्कत हो रही है। एनेस्थीसिया सहित अन्य गंभीर मामलों में सीजीएमससी सप्लाई को लेकर गंभीर नहीं है। इसका नुकसान अस्पताल और प्रबंधन को भुगतना पड़ रहा है। इससे अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में सिम्स ने सीजीएमएससी को 528 प्रकार की दवाओं का आर्डर दिया था।महज 263 दवा ही मिल पाई हैं। इससे इलाज सहित ऑपरेशन भी प्रभावित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सिम्स में बदहाल व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। नोटिस जारी होने पर सिम्स की ओर से जवाब में कहा गया कि सीजीएमएसी को कई बार मांग पत्रों के अनुरूप दवा भेजने की बात लिखी है। इसके बाद भी सीजीएमएसी के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। सिम्स सहित जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इससे मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है।