बिलासपुर। बैमा में प्रस्तावित केंद्रीय जेल के निर्माण को लेकर ठेका कंपनी मां भगवती कंस्ट्रक्शन की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि 7 अक्टूबर 2023 को पीडब्ल्यूडी द्वारा ठेका निरस्त करने का फैसला सही था। कोर्ट ने कहा कि ठेका कंपनी अपने पक्ष में एक भी मजबूत दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सकी, जिससे साबित हो सके कि उसे निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाए।
केंद्रीय जेल में कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण नई जेल के लिए जिला प्रशासन की ओर से बैमा में 50 एकड़ जमीन का चयन किया गया है। जेल की क्षमता 1,500 कैदियों की है। टेंडर की प्रक्रिया प्रमुख अभियंता कार्यालय से अक्टूबर 2022 में शुरू हुई थी। शहर की फर्म मां भगवती कंस्ट्रक्शन को इसका ठेका 110 करोड़ में मिला था। जेल भवन की नींव रखी जा रही थी कि कंपनी के खिलाफ गलत दस्तावेज के आधार पर ठेका हथियाने की शिकायत हुई। जांच के बाद कंपनी का ठेका निरस्त कर उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। इसके खिलाफ कंपनी ने याचिका दायर की।
ठेका निरस्त करने के खिलाफ कंपनी ने पूर्व हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस बीच पीडब्ल्यूडी संभाग क्रमांक एक के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता बीएल कापसे ने टेंडर को रीओपन कर दिया। इस मामले की भी शिकायत हुई। प्रमुख अभियंता कमलेश पिपरी ने ठेका निरस्त कर बीएल कापसे को सस्पेंड कर दिया। 24 जनवरी को फिर से जेल के लिए टेंडर जारी हुआ। इस बार इसकी लागत 110 करोड़ से बढ़कर 131 करोड़ हो गई थी। टेंडर जशपुर निवासी विनोद जैन को मिला था। इसे लेकर मां भगवती कंस्ट्रक्शन कंपनी ने एक बार फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
पांच बार निरस्त हुआ टेंडर, विस में सवाल भी उठे
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जेल की ठेका प्रक्रिया को लेकर लगातार सवाल उठते रहे। इस कारण पांच बार निविदा निरस्त हो चुकी है। सबसे पहले रायपुर की एक फर्म को इसका ठेका मिला था। दस्तावेज अधूरे होने के बाद टेंडर निरस्त हुआ। इसके बाद दूसरी बार मां भगवती को निविदा मिली। गलत दस्तावेज पेश करने पर दोबारा इसे निरस्त करना पड़ा। इसके बाद विभिन्न कारणों से टेंडर निरस्त हुआ है। ध्यान रहे कि सेंट्रल जेल के लिए 2022-23 में निविदा जारी की गई थी। इस दौरान निर्धारित दर से साढ़े सात प्रतिशत कम दर पर टेंडर जारी किया गया। इस बार साढ़े 12 प्रतिशत अधिक में निविदा जारी हुई है। इस तरह से सीधा-सीधा शासन को लगभग 21 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कसडोल विधायक संदीप साहू ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया भी था।