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High Court : दहेज प्रताड़ना के मामले में कार्रवाई के दौरान प्रावधान का पालन नहीं, राज्य शासन पर एक लाख रुपए जुर्माना, फटकार भी लगी

 






बिलासपुर। हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना से जुड़े धारा 498 के मामले में धारा 41 ए का पालन नहीं करने पर राज्यशासन पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। भिलाई के युवक दीपक त्रिपाठी की याचिका पर हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है। आदेश में चीफ जस्टिस ने राज्य शासन को फटकार भी लगाई है कि प्रदेश के हर थाने में 7 साल से कम वर्ष की सजा वाले मामलों में धारा 41 ए के नोटिस का पालन किया जाए। ध्यान रहे कि 41 ए में बताया गया है कि गिरफ्तारी से पहले आरोपी को नोटिस भेजकर जवाब मांगना जरूरी है।


याचिका के मुताबिक चार साल पहले दुर्ग महिला थाना प्रभारी और महिला थाना की एसआई ने एक युवती के आवेदन पर झूठा दहेज का मामला दर्ज कर लिया था जबकि युवती ने अपने 164 के बयान में यह कहा था कि उसकी और दीपक की शादी की जानकारी घर में किसी को नहीं है और ना ही वह अपने ससुराल कभी गई है। याचिका में याचिकर्ता दीपक की ओर से कहा गया कि बयान के बाद महिला थाना प्रभारी ने युवती से कोरे कागज पर हस्ताक्षर ले लिए और उसके बाद दहेज का मामला बनाकर अपराध दर्ज कर लिया। इसके बाद उन्हें 41 ए की नोटिस दिए बिना गिरफ्तार भी कर लिया गया।

याचिका में कहा गया कि पुलिस की लापरवाही के कारण पूरा मामला हुआ है। याचिका में बताया गया कि 28 जनवरी 2020 को एक शिकायत के आधार पर उसी दिन धारा 498 के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया गया। अगले दिन 29 जनवरी 2020 को याचिकाकर्ता को गिरफ्तार भी कर लिया गया। इसके बाद लाकडाउन लग गया और याचिकाकर्ता को 77 दिन जेल में बिताना पड़ा। हाईकोर्ट से मामले में जमानत मिलने के बाद तत्कालीन एसपी और आईजी से मामले की जांच करने आवेदन दिया गया। जिस जांच में महिला थाना प्रभारी और एसआई द्वारा रोजनामचे में 41 ए के नोटिस संबंध में कोई उल्लेख नहीं था। इसके बाद भी लेकिन पुलिस अधीक्षक ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिसके चार साल बाद अब फैसला आया है। इस फैसले में चीफ जस्टिस ने राज्य शासन को 1 लाख रुपए का हर्जाना आवेदक को देने का आदेश दिया है।

अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ उन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज है जिसमें सात साल से कम अवधि की सजा का प्रावधान है तो ऐसी गिरफ्तार करने से पहले पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को नोटिस भेजना अनिवार्य है जिसके बारे में धारा 41ए में बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि इन मामलों में पुलिस बिना सूचना दिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर पुलिस किसी को नोटिस भेजती है तो नोटिस जिस व्यक्ति के नाम निकाला गया है उसकी भी यह जिम्मेदारी है कि वह निर्देशों का पालन करें और तय समय पर पुलिस के सामने हाजिर हो। हालांकि अगर पुलिस को लगा कि गिरफ्तारी जरूरी है तो वह गिरफ्तार भी कर सकती है लेकिन इसके लिए भी पुलिस को लिखित में गिरफ्तारी के लिए वजह बतानी होगी

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