बिलासपुर। हाईकोर्ट ने कहा है कि एक पति द्वारा अपनी टीचर पत्नी को स्टूडेंट्स के सामने गाली देना मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह गाली देने से महिला की समाज में न सिर्फ इज्जत खराब होती है, बल्कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मानसिक क्रूरता भी है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की डिवीजन बेंच ने पति से तलाक की मांग करते हुए दायर महिला टीचर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और याचिका स्वीकार कर ली।
बता दें कि महिला ने क्रूरता के आधार पर अपने पति से तलाक की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद पति के दुर्व्यवहार और पत्नी को सार्वजनिक तौर पर अपमानित करने के आधार पर कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली और पत्नी द्वारा तलाक देने को उचित माना। पीड़ित महिला ने सबसे पहले रायपुर के फैमिली कोर्ट में क्रूरता के आधार पर तलाक मांगने की मांग करते याचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने नवंबर 2021 में ही अपना फैसला सुनाते हुए उसे तलाक देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। डिवीजन बेंच ने मामले के तथ्यों के आधार पर पत्नी की याचिका को स्वीकार किया।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि 'पत्नी काम करती है और कई बार वह लेट आती है। इस आधार पर पत्नी पर शंका करना अनुचित है। आरोप ये है कि पति अपनी पत्नी का चरित्रहनन करता है। पत्नी ने याचिका में यह भी बताया कि जब उसने स्टूडेंट्स को घर पर ट्यूशन देना शुरू किया, तो पति ने पत्नी के चरित्र को लेकर भद्दी गालियां देना शुरू कर दिया।.' पीठ ने आगे कहा, 'पति की इस हरकत से समाज में पत्नी की छवि खराब होती है, खासतौर पर उसके स्टूडेंट्स के सामने। इससे स्टूडेंट्स अपनी टीचर का सम्मान करना भी भूल सकते हैं।'