बिलासपुर। छत्तीसगढ़ वन सेवा भर्ती प्रक्रिया में धांधली का मामला हाईकोर्ट पहुंचा है। गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए 8 आवेदकों ने याचिका दायर की है। याचिका में अभ्यर्थियों ने कहा है कि फिजिकल टेस्ट में फेल हो चुके लोगों को दोबारा मौका देकर वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यह नियमों और प्रावधानों के खिलाफ है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन को जवाब देने के निर्देश देते हुए वन सेवा भर्ती प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है।
याचिका के अनुसार कांग्रेस सरकार ने साल 2020 में वन विभाग में भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। इसके तहत सीजीपीएससी द्वारा साल 2021 में वन सेवा भर्ती की परीक्षा आयोजित की गई। इसके बाद 3 जून 2023 को इस परीक्षा का रिजल्ट सीजीपीएससी द्वारा जारी कर मुख्य एवं अनुपूरक सूची जारी की गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर कार्यालय में चयनित अभ्यर्थियों का दस्तावेज परीक्षण के बाद 12 सितंबर 2023 को शारीरिक मापदंड परीक्षण किया गया। इसके बाद से गड़बड़ी शुरू हो गई। इस गड़बड़ी के खिलाफ बस्तर के योगेश बघेल, मधुसूदन मौर्या, घनश्याम और 6 अन्य लोगों ने याचिका लगाई है।
याचिका में कहा गया कि 12 सितंबर को आयोजित शारीरिक मापदंड परीक्षण में 4 घंटे के भीतर 26 किलोमीटर पैदल चलना था। 20 से अधिक अभ्यर्थी इस परीक्षण में असफल रहे। लिहाजा वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों को उन अभ्यर्थियों के स्थान पर फिजिकल टेस्ट के लिए मौका दिया जाना था। लेकिन अधिकारियों ने जानकारी लिए जाने पर अनुपूरक सूची में दर्ज अभ्यर्थियों को मौका नहीं देकर फिजिकल टेस्ट में फेल हुए अभ्यर्थियों को दोबारा मौका दिए जाने का फैसला ले लिया। इसके खिलाफ दायर याचिका में कहा गया कि इस पूरे मामले को लेकर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की गई लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। याचिका लगाते हुए अनुपूरक सूची में दर्ज अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि अधिकारी अपने कुछ विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में परिवर्तन कर मनमानी कर रहे हैं। याचिका के अनुसार फिजिकल टेस्ट में फेल हुए अभ्यर्थियों को दोबारा मौका दिए जाने का कोई नियम ही नहीं, और ना ही जारी विज्ञापन में इसका प्रावधान था। सुनवाई के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की सिंगल बेंच ने वन सेवा भर्ती प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है।