कांग्रेस के पांच साल के शासन काल में बिलासपुर जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों की जमकर बंदरबांट हुई है।
इसे लेकर कई गंभीर आरोप भी लग चुके हैं. यहां तक कि फल ठेला लगाने वाले गरीब लोगों से भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर अवैध वसूली की बात भी सामने आ रही है। बिलासा चौक के पास अक्सर निगम कर्मियों और ठेला लगाने वालों के बीच अस्थाई कब्जे को लेकर तकरार की खबरें सुर्खियां बनती रही हैं।
सूत्रों की माने तो अवैध निर्माण के लिए करोड़ों का लेनदेन किया गया है. लेकिन फिर कुछ लोग निगम में बैठे में आला जनप्रतिनिधि की शरण में गए। अवैध कब्जे के लिए चढ़ावा चढ़ाया और अपनी मनोकामना पूरी की।
जिस बिलासा चौक में निगम कर्मियों को कब्जा हटाने के लिए मशक्कत करते देखा जाता है, उसी बिलासा चौक, शनिचरी इलाके में नमकीन व्यापारियों द्वारा करोड़ों की दुकानों पर कब्जा करने की बात सामने आई है. माना जा रहा है कि इसकी जानकारी निगम के उच्च से लेकर निचले अधिकारियों तक को है.
इसके बाद भी उनके हाथ कार्रवाई करने से कांप रहे हैं.
ऐसा सिर्फ बिलासा चौक में नहीं बल्कि नजूल शासकीय और निगम की अधीनस्थ ज़मीनों पर गोल बाजार, शनिचरी, सरकंडा, लिंक रोड, श्रीकांत वर्मा मार्ग, व्यापार विहार, गौरव पथ, तोरवा धानमंडी, राजकिशोर नगर, दयालबंद, जूना बिलासपुर, सदर बाजार क्षेत्र की कीमती शासकीय नजूल की जमीनों पर अवैध निर्माण कर दुकानें चल रही हैं। प्रशासन की मिली भगत से यह अवैध कारनामे चल रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसे अवैध कब्जाधारियों पर नेताओं और प्रशासन का बुलडोजर चलेगा या नहीं?
क्या ऐसे कब्जाधारियों के अवैध निर्माण की होगी जांच? या इनको मिलते रहेगी छूट,
कब्जाधारी अवैध निर्माण को शासन प्रशासन राजनीतिक नेताओं से उदघाटन कराकर अपने काले कारनामों को छुपा रहे हैं।