बिलासपुर। अरपा नदी को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के रवैए पर नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि जिम्मेदार अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। हाईकोर्ट ने राज्य शासन से एक बार फिर पूछा है कि इसके लिए क्या कार्ययोजना है। अगर कार्ययोजना बनाई है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करें। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सालसा की ओर से इकोलाजिस्ट नीरज तिवारी की तरफ से अरपा को साफ रखने संबंधी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। साथ ही कोर्ट ने वकीलों की एक टीम बनाने की बात कही है जो कि अरपा नदी के संरक्षण को लेकर चल रहे कार्यों और प्रयासों पर नजर रखेगी। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से कहा गया कि नरआ-गरुआ- बारी योजना के तहत कई छोटे नालों को साफ किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि शासन-प्रशासन यह व्यवस्था करे कि ड्रेनेज वाटर क्लीन होकर ही अरपा नदी में छोड़ा जाए। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला और पेंड्रा के रहने वाले रामनिवास तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें अरपा नदी में बाहरमास पानी रहे और उसे सजाने और संवारने के साथ साफ पानी छोड़े जाने की मांग है। दूसरी ओर अरपा में प्रदूषण का आलम यह है कि प्रति दिन नदी में 130 एमएलडी से अधिक शहरवासियों के जल मल की निकासी हो रही है। हाईकोर्ट ने अरपा नदी में प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दो साल पहले शासन को अरपा रिवाइवल प्लान बनाकर कार्य करने के आदेश दिए थे। इसके बाद शासन ने अरपा रिवाइवल प्लान तैयार किया, लेकिन इसमें अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई। अरपा में प्रदूषण रोकने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने पर काम चल रहा है, परंतु यह अभी अधूरा है। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में चल रही है।
जनहित याचिका में शहर के बीच बन रहे दो स्टाप डेम से जल स्तर में बढ़ोतरी के साथ शहर के नाले नालियों का गंदा पानी जमा होने से बदबू के साथ जल प्रदूषण की स्थिति निर्मित होने की ओर आगाह किया गया है। इसलिए नाले नालियों के पानी के उपचार और उपचारित पानी ही नदी में छोड़ने की मांग की गई है। नगर निगम की ओर से इसमें कहा गया कि घरों से निकलने वाले गंदे पानी के शतप्रतिशत उपचार के लिए 81.84 करोड़ की योजना बनाई है। निगम प्रशासन का दावा है कि गंदे पानी के उपचार बाद उसके पुर्नउपयोग की योजना दो चरणों में पूरी होगी। इसके लिए एनटीपीसी से प्रारंभिक सहमति मिल चुकी है।
निगम की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया है कि गंदे पानी को नाले के जरिए एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा। प्रतिदिन 110 एमएलडी गंदे पानी के उपचार का लक्ष्य है। योजना के तहत अरपा में नालियों का गंदा पानी नहीं जाए इसके लिए बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड 3 स्थानों पर एसटीपी बना रहा है। इसके लिए कोनी में 6 एमएलडी क्षमता का प्लांट लगाया जा रहा है। मिको टेक्नालाजी प्रायवेट लिमिटेड को 7.50 करोड़ का ठेका दिया गया है। इसी प्रकार मंगला में दो एसटीपी के निर्माण का ठेका श्रद्धा कंस्ट्रक्शन को दिया गया है। मंगला में एसटीपी का निर्माण अधूरा है। ठेकेदार को जनवरी, फरवरी की डेडलाइन दी गई है। इसके बावजूद अभी तक कार्य अधूरा है।