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सिम्स की बदहाली पर फिर फटकार- दवाइयों और सुविधाओं की कमी क्यों दूर नहीं हो रही

 





बिलासपुर। सिम्स में फैली अव्यवस्था और दवाओं की कमी मामले की हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने जिला प्रशासन को मामले की मानिटरिंग करने कहा है। सुनवाई के दौरान सिम्स के डीन केके सहारे की ओर से दवाओं की खरीदी बिक्री से लेकर राज्य शासन से इसके लिए मिली राशि के संबंध में शपथ पत्र पेश किया गया। डीन की ओर से कहा गया कि इसकी समीक्षा और जानकारी ली जा रही है कि व्यवस्था कैसे ठीक की जाए। पूरे मामले में प्रशासन के साथ ही सिम्स सब कुछ ठीक करने में लगा है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद लगी है। साथ ही कोर्ट ने जिला प्रशासन और सिम्स प्रबंधन से प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आम लोगों की सहूलियत के लिए अव्यवस्थाओं पर भी ध्यान देना जरूरी है और व्यवस्था सुधरनी चाहिए। जो खामियां मिली है उसे दूर भी करना होगा। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि सिम्स और जिला अस्पताल में दवाइयों की कमी है। सीजीएमसी दवाइयां नहीं दे रहा है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, यह सब क्या है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर फंड दे रही है, जिसके बाद भी इस तरह की स्थिति क्यों है। दवाइयां सप्लाई नहीं करने पर डिवीजन बेंच ने सीजीएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर को शपथ पत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। बुधवार को इसे पेश किया गया।

ज्ञात हो कि सिम्स में दवाइयों की खरीदी नहीं होने और मरीजों को हो रही परेशानी के मामले में हाईकोर्ट में डीन ने शपथपत्र सहित जवाब मांगा था। दरअसल सीजीएमएससी ने दवा सप्लाई नहीं की तो तकरीबन 70 लाख रुपए का दवा लोकल पर्चेसिंग के माध्यम से सिम्स ने उधार में खरीद ली।

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