कोरबा. कोरबा का आदिवासी विकास विभाग एक बार फिर चर्चा में हैं। ताजा मामला आदिवासी विभाग के छात्रावासों के मरम्मत और सामान खरीदी के लिए केंद्र सरकार से मिले करोड़ो रूपये के फंड का है जिसकी मूल नस्ती ही कार्यालय से गायब हो गयी हैं। बताया जा रहा हैं कि 6 करोड़ 62 लाख रूपये में करीब 3 करोड़ रूपये का विभाग ने कई ठेकेदारों को भुगतान भी कर दिया, लेकिन किस काम के एवज में कितना भुगतान किया गया, इससे जुड़े सारे दस्तावेज ही विभाग से गायब हैं। ऐसे में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने दस्तावेज नही मिलने पर मामले में एफआईआर दर्ज कराने की बात कही हैं।
बता दें कि वर्तमान प्रकरण कोरबा आदिवासी विकास विभाग की विवादित पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर के कार्यकाल से जुड़ा है। कोरबा में अपने कार्यकाल के दौरान उनके ऊपर विभागीय निविदाओं में भ्रष्टाचार करने, अपने चुनिंदा ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने तथा डीएमएफ, राज्य सरकार व केंद्र सरकार से प्राप्त फंड का दुरुपयोग करने के आरोप लगते रहे थे।