Raipur. छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार के शासनकाल के दौरान आयुष्मान भारत योजना के नाम पर लूट की खबरें कई बार सामने आती रही हैं. रिपोर्ट्स को देखें तो ऐसा लगता है जैसे गोलमाल एक सिंडिकेट बनाकर किया गया है. जितना लूट सको लूट लो के सिद्धांत के तहत उस समय कई अस्पताल संचालक अपना ईमान-धर्म भूल गए. लेकिन विधानसभा चुनाव
में सरकार बदल गई और नई सरकार ने निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना का पेमेंट रोक दिया. अब इन अस्पतालों के संचालक बिना पानी की मछली की तरह छटपटा रहे हैं. क्योंकि गड़बड़ियां तो हो ही गई है और अगर सरकार इनका ऑडिट कर दे तो अधिकतर जेल के अंदर होंगे.
आयुष्मान भारत के नाम पर किस प्रकार से निजी अस्पताल के संचालक लूटमार कर रहे हैं इसकी पुष्टि तब और हो गई जब एक डॉक्टर ने एक न्यूज वेबसाइट को पत्र लिखकर उनके काले कारनामों को उजागर किया. अपने पत्र में डॉक्टर ने उल्लेख किया कि किस प्रकार यह जनता का पैसा लूट रहे हैं और इसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने चाहिए.
इस पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे निजी अस्पताल के डॉक्टर बिना जरुरत के भी ऑपरेशन और क्रिटिकल केयर में मरीजों को डाल देते हैं.
पत्र में उल्लेख बातों का विवरण इस प्रकार है
ऐसे किया जा रहा बड़ा खेल
मामले को और खंगालने पर यह पता लगा कि आजकल मैनेजमेंट और नॉन मेडिकल वाले भी अस्पताल खोलकर बैठ गए हैं. यहां पर कुछ लोगों को मरीजों के नाम पर रख लिया जाता है. जो की सही में मरीज नहीं होते उन्हें दो-तीन दिन यहां रखकर छुट्टी दे दी जाती है जिनके नाम पर आयुष्मान भारत का पैसा क्लेम कर दिया जाता है.
आंकड़े खंगालने पर यह पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत का बजट 800 से 600 करोड़ है लेकिन हर साल प्रेम 2200 करोड़ तक पहुंच जाता है. यह आंकड़े भयावह हुआ है कि किस प्रकार इस योजना के नाम पर लूटमार हो रही है