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रहस्यों से भरा है छत्तीसगढ़ का ये प्राचीन मंदिर....9 दिनों तक बिना तेल के प्रज्वलित होती है जोत






 छत्तीसगढ अपने प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए प्रसिद्ध तो है ही, इसके साथ ही यह राज्य प्रचीन मंदिरों के लिए भी जाना जाता है. छत्तीसगढ में कई ऐसे मंदिर हैं जो लोगों के चकित करते हैं. यही वजह है कि यहां दूर-दूर से लोग मंदिरों में दर्शन करने आते हैं. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित निरई माता का मंदिर है.



अपने आप ज्योति प्रज्जवलित होती है

कहते हैं कि निरई माता मंदिर में हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान अपने आप ही ज्योति प्रज्जवलित होती है. यह चमत्कार कैसे होता है, यह आज तक पहेली ही बना हुआ है. गांव वालों का कहना है कि यह निरई देवी का चमत्कार है, कि बिना तेल के ज्योति नौ दिनों तक जलती रहती है. निरई माता मंदिर में महिलाओं को प्रवेश और पूजा-पाठ की अनुमति नहीं है. यहां सिर्फ पुरुष पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं. महिलाओं के लिए इस मंदिर का प्रसाद खाना भी वर्जित है. कहते हैं कि महिलाएं अगर मंदिर का प्रसाद खा लें तो उनके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है.





निरई माता के मंदिर में ऐसे होती है पूजा

यही नहीं देश में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपने साथ कई रहस्य समेटे हुए हैं. इन रहस्यों के कारण ही ये मंदिर दुनियाभर में विख्यात हैं. निरई माता के मंदिर में मां को सिंदूर, सुहाग, श्रृंगार, कुमकुम, गुलाल, बंदन नहीं चढ़ाया जाता बल्कि नारियल और अगरबत्ती से माता की पूजा करके प्रसन्न किया जाता है. खास बात ये है कि यह मंदिर साल में सिर्फ पांच घंटे के लिए ही खुलता है. साथ ही यहां महिला


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