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हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद करने पर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश, जानिए क्या कोर्ट ने

 





बिलासपुर। हिन्दी माध्यम से चल रहे स्कूलों को बंद नहीं करने एवं यदि छात्र हिन्दी माध्यम से अध्ययन करने के इच्छुक हैं तो इस माध्यम से पढ़ाने का निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को निराकृत किया है। कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को नोटिस भी जारी किया है।

राज्य शासन ने शिक्षा सत्र 2016-2017 में हिन्दी माध्यम से संचालित शालाओं को अंग्रेजी माध्यम में बदलने का निर्णय लिया। इसके खिलाफ जशपुरनगर निवासी डॉ रविन्द्र कुमार वर्मा ने हाईकोर्ट में तीन अलग अलग याचिकाएं दायर की। याचिका में हिन्दी राष्ट्रभाषा होने के कारण हिन्दी माध्यम के स्कूलों को बंद करने को गलत बताया गया। हाईकोर्ट ने तीनों ही याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। आदेश में कोर्ट ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम से संचालित शाला यथावत चलती रहेंगी। किन्तु छत्तीसगढ़ शासन हिन्दी माध्यम से अध्ययनरत छात्रों के लिए पूर्व में संचालित शालाओं में ही अध्यापन की व्यवस्था करेगा। साथ ही इच्छुक छात्र छात्राओं को प्रवेश देते हुए हिन्दी माध्यम से अध्यापन कराया जाएगा। शासन चाहे तो दो पाली में शाला संचालित कर सकता है। कोर्ट ने इस निर्देश का त्वरित पालन करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं कर हिन्दी माध्यम से संचालित शालाओं को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम शाला किए जाने पर डॉ रविन्द्र कुमार वर्मा ने शिक्षा सचिव डॉ आलोक कुमार को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि कोर्ट के आदेश का पालन ही नहीं किया गया। हिन्दी माध्यम से संचालित शालाओं को बंद कर अंग्रेजी माध्यम किया जा रहा है। सुनवाई उपरांत कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव को नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता ने पूरी याचिका हिन्दी में प्रस्तूर की थी। बहस भी हिन्दी में ही गई और आदेश भी हिन्दी में ही पारित किया गया है। सभी याचिकाओं में याचिकाकर्ता ने स्वयं बहस कर तर्क प्रस्तुत किए।

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