बिलासपुर। हाईकोर्ट की कार्रवाई का एडिट वीडियो जारी करने और उस पर आपत्तिजनक कमेंट आने को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस गौतम भादुड़ी की डिवीजन बेंच ने साइबर सेल को निर्देश दिए के इस वीडियो को एडिट कर सोशल मीडिया पर जारी करने वालों और कमेंट करने वालों का पता लगाकर कार्रवाई करें। रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए के मामले को रजिस्टर्ड कर जरूरत पर आरोपियों पर न्यायालय की अवमानना कार्रवाई भी करें।
दुर्ग जिले का एक मामला कोर्ट के समक्ष आया था। इसमें पति ने अपनी पत्नी से बेटी को संरक्षण में लेने के लिए याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बेटी के बयान के आधार पर पाया कि वह अपने पिता के साथ रहना चाहती है। इसकी वजह थी कि उसकी मां उससे दुर्व्यवहार, गाली गलौच और पिटाई भी करती थी। जबकि पिता उसे स्नेह से रखते और उसकी देखभाल करते थे। कोर्ट ने इस आधार पर माना कि बेटी अपने पिता के पास सुरक्षित है। इस आधार पर कोर्ट ने बेटी को पिता संरक्षण में रखने का आदेश देते अपील स्वीकारी। कोर्ट की कार्रवाई लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए प्रसारित हुई थी। इसे किसी ने एडिट कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसके बाद इसमें कई लोगों ने विपरीत और अभद्र टिप्पणियां भी कीं। कोर्ट के संज्ञान में यह बात आने पर कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर और अवमानना की श्रेणी में मानते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए।
आदेश में यह कहा हाईकोर्ट ने
कोर्ट ने संबन्ध में दिए अपने आदेश में कहा कि -की गई टिप्पणियों की प्रकृति न्याय में सुधार करने में सहायता नहीं करतीं। यह परोक्ष रूप से वकीलों के लिए खतरा बढ़ाता है। इससे न्यायालयों की छवि धूमिल होती है। इससे बिना तथ्यों को समझे कोई भी इस तरह आसानी से कुछ भी टिप्पणी करेगा। स्थिति पर विचार करते हुए इस प्रकरण की सायबर सेल जांच कर दोषियों की पहचान करे। उन पर कार्रवाई के साथ ही जरूरत पड़ने पर अवमानना नोटिस दिया जाए। इसके बाद रजिस्ट्रार (न्यायिक) को पंजीकरण करने का निर्देश दिया जाता है कि उचित कार्यवाही अलग से करें और इसे इस न्यायालय के समक्ष रखें।