गरियाबंद। डीएफ फंड का कोई लेखा-जोखा नहीं चहेते एनजीओ समुहो राजनीतिक ठेकेदारों को मन मुताबिक मनमर्जी डीएफ फंड का दुरुपयोग बेफिजूल दिखावे के कार्यों में जिसका कोई हिसाब नहीं किया जा रहा पैसों की बर्बादी मूलभूत सुविधा जनता के वास्तविक अधिकार के लिए भटक रहे लोग क्या डीएमफ फंड से जनता को मिलने वाली सुविधा क्यों नहीं दी जाती क्यों नहीं कराए जाते मूलभूत कार्य आखिर शासन के पैसों को इस तरह क्यों किया जाता है बर्बाद इसके पीछे क्या है कहानी नेताओं मंत्रियों अधिकारियों की पहुंच से यह ऐसे ठेकेदार जो बिना लेखा जोखा का काम डीएफ फंड की बर्बादी जमकर भ्रष्टाचार करते चले आ रहे
वित्तीय वर्ष 2022-23 में मिले डीएमएफ फंड का ज्यादातर उपयोग सरकारी और उपयोगी संस्थानों को चकाचौंध करने में खर्च किया गया. इसी कड़ी में ही जिले के देवभोग के अलावा मैनपुर, गरियाबंद, छुरा और राजिम के मिनी स्टेडियम में 40-40 लाख का बजट हाई मास्ट लाइट के लिए खर्च का प्रावधान किया गया. काम कराने का जिम्मा अलग-अलग संस्थानों को सौंपा गया लेकिन वर्क आर्डर राजधानी के सत्तासीन नेता और तत्कालीन अफसरों के इर्द गिर्द रहने वाले चहते ठेका कंपनी को मिला. क्रियान्वयन एजेंसी भी प्रशासनिक मुखिया के मूड के आधार पर तय हुआ. छुरा, राजिम और मैनपुर का कार्य लोक निर्माण विभाग के बिजली शाखा के माध्यम से हुआ. गरियाबंद में इस काम को कराने वन विभाग की जिम्मेदारी मिली थी, जबकि देवभोग स्टेडियम का कार्य देवभोग सरपंच के कंधे पर रख कर कराया गया. सभी कार्य के लिए 15 मई से 25 मई के बीच वर्क आर्डर जारी कर दिया गया था. ठेका कंपनियों ने अक्तूबर माह में काम खत्म कर ट्रायल भी पूरी कर ली. हाई मास्क लाईट को जलाने 3 किलो वाट से ज्यादा भार क्षमता की बिजली चाहिए, जिसके लिए सभी जगह एक एक ट्रांसफार्मर की जरूरत है. लेकिन इसके अभाव में स्टेडियम के हाई मास्क का उपयोग नहीं हो पा रहा है. बिजली विभाग के कार्यपालन अभियंता अतुल तिवारी कहते है कि उन्हें अब तक किसी भी स्थान से ट्रांसफार्मर लगाने के लिए कोई आवेदन नहीं प्राप्त हुआ है .