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नक्सलियों को शहीद कहने पर सुप्रिया श्रीनेत पर धरमलाल की तीखी टिप्पणी- कांग्रेस नेताओं की ऐसी ही विचारधारा

 





बिलासपुर। बिल्हा विधायक एवं पूर्व नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व सोशल मीडिया विभाग की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत की छत्तीसगढ़ में हुई प्रेस वार्ता पर तीखा हमला किया है। धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के मारे जाने के बाद उन्हें शहीद बताने वाली सुप्रिया श्रीनेत की छत्तीसगढ़ में प्रेस वार्ता करवाई।यह करके कांग्रेस ने इस बात को स्पष्ट कर दिया कि छत्तीसगढ़ के सारे नेता सुप्रिया  के साथ है व नक्सलियों को शहीद मानते हैं। और कहीं ना कहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस और भूपेश बघेल के कहने पर ही सुप्रिया ने यह बयान दिया था। कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ के पत्रकारों का भी सुप्रिया ने अपमान किया , उनके सवालों को अभद्र बताया ।छत्तीसगढ़ के पत्रकार अभद्र नहीं है हां जरूर सुप्रिया जी आपको अपने अंदर झांकने की जरूरत है आप क्या है? 

श्री कौशिक ने कहा सुप्रिया ने छत्तीसगढ़ आकर मणिपुर की बात कर रही थी उन्हें यह बताना चाहिए था की  कांग्रेस शासन में  बिरनपुर में साहू समाज के भुनेश्वर साहू की निर्ममता से हत्या की गई तब कांग्रेस के  तत्कालीन मुख्यमंत्री ,भूपेश बघेल ,गृहमंत्री उस क्षेत्र के विधायक कांग्रेस का कोई नेता ,कार्यकर्ता श्री ईश्वर साहू का दुख बांटने क्यों नहीं गया। 

श्री कौशिक ने यह भी सवाल पूछा की महंगाई पर लोगों को झूठ बोलने वाली सुप्रिया महंगाई के आंकड़े सामने रखती तो उन्हें खुद भी शर्म आ जाती क्योंकि देश में यूपीए सरकार के 10 वर्षों में महंगाई की औसत दर 8% रही है जबकि कोरोना की भयंकर आपदा के बावजूद मोदी सरकार में औसत महंगाई की दर केवल 5 प्रतिशत ही रही। 


श्री कौशिक ने कहा कि कांग्रेस को किसानों की हितैषी मानने वाली और बताने वाली सुप्रिया ने जनता को यह बताना चाहिए था कि 10-10 साल में किसानों को एमएसपी पर कितना भुगतान सरकारों ने किया है केवल धान की एमएसपी पर खरीद से मोदी सरकार ने 12 लाख करोड रुपए से ज्यादा का भुगतान किसानों को किया है जबकि कांग्रेस ने केवल चार लाख करोड़ रूपया किया था। कांग्रेस की राज्य सरकार 5 वर्षों तक किसानों को गांधी परिवार की जयंती पर तरसा तरसा कर किस्तों में पैसा देती थी लेकिन विष्णु देव सरकार उन्हें एकमुश्त राशि दे रही है सुप्रिया  को पहले तो छत्तीसगढ़ आना ही नहीं चाहिए था लेकिन अगर वह आई तो उन्हें अपने नक्सलियों को शहीद बताने वाले बयान पर माफी मांगनी चाहिए थी जो कि उन्होंने नहीं मांगी उल्टा उन्होंने यहां के पत्रकारों के सवालों को अभद्र ठहराकर पत्रकार जगत का भी अपमान किया।

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