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हाईकोर्ट ने माना- जनहित में जारी न्यायालायीन आदेश पर आदर्श आचार संहिता लागू नहीं होती

 






बिलासपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश की खराब सड़कों के बारे में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था के तहत आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने न्यायमित्रों की रिपोर्ट के आधार पर माना है कि जनहित में जारी न्यायालायीन आदेश पर आदर्श आचार संहिता लागू नहीं होती है। इस दौरान सरकार महत्वपूर्ण कार्यों के लिए राशि स्वीकृत करने के साथ ही टेंडर कर सकती और काम को शुरू कराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि रायपुुर में नेशनल हाईवे में धनेली के पास से विधानसभा मार्ग के खराब सड़क की तत्काल मरम्मत की जाए। हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान टेंडर जारी करने का आदेश दिया भी दिया है ताकि नागरिकों को शीघ्र राहत मिल सके। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद ऐसा माना जा सकता है कि आचार संहिता लागू होने के बाद भी जनहित के नए कामों को किया जा सकता है।


दरअसल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आज इन रेफरेंस रोड ऑफ छत्तीसगढ़ के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष रायपुर एयरपोर्ट जाने हेतु नेशनल हाईवे में धनेली के पास से विधानसभा मार्ग के खराब होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस पर हाईकोर्ट ने तत्काल स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सड़क निर्माण के लिए साढ़े 22 करोड़ रुपए की स्वीकृत दी गई है, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण टेंडर की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है। इस पर सुनवाई के दौरान न्यायामित्रों द्वारा कहा गया कि जनहित में जारी न्यायालायीन आदेश पर आदर्श आचार संहिता लागू नहीं होती है। सुनवाई के बाद जनहित की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान टेंडर जारी करने का आदेश दिया है ताकि नागरिकों को शीघ्र राहत मिल सके। कोर्ट ने महाधिवक्ता को भी मामले को देखने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डीबी में चल रही है। सुनवाई के दौरान न्याय मित्र एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव, एडवोकेट प्रतीक शर्मा और एडवोकेट आशुतोष सिंह कछुवाहा उपस्थित थे।


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प्रदेश की खराब सड़कों को लिया है संज्ञान

हाईकोर्ट ने प्रदेश की सड़कों पर संज्ञान लेते हुए यह भी कहा है कि यह दुख की बात है कि खराब सड़कों से होने वाली दुर्घटनाओं को हम रोक नहीं पा रहे हैं। राज्य शासन को तुरंत सभी गड्ढे भरने चाहिए ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं को रोका जा सके। हाईकोर्ट ने शासन और एजेंसी को यह भी आदेश दिया है कि जिस सड़क में कार्य चल रहा हो, उस सड़क में कार्य प्रारंभ होने की तारीख व कार्य पूर्ण होने की तारीख और जिस सड़क का टेंडर ही जारी न हुआ हो, उसकी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर यह संज्ञान लिया है।


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शहर में मिलकर काम करें अधिकारी


हाईकोर्ट में यह बात भी सामने आई कि शहरी क्षेत्र में निगम, पीडब्ल्यूडी और ठेका एजेंसी मिलकर काम नहीं कर रहे हैं। बिना किसी प्लान के कई मार्गों का डामरीकरण प्रारंभ कर दिया जाता है। नई बनी सड़क को कभी सीवरेज पाइप लाइन तो कभी जल अमृत मिशन के नाम से खोद दिया जाता है। इसी तरह टेलीफोन केबल, नाला निर्माण के लिए फिर सड़कों को खोद दिया जाता है। इस तरह से अव्यवस्थित कार्य को लेकर रुपयों की बर्बादी होती है और सड़कों की दुुर्दशा होती है। बताया गया कि जिस कार्य के लिए सड़कों की खोदाई की जाती है उसकी ठेका कंपनी को सड़क को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी जाती है लेकिन ऐसा नहीं होता। इसलिए नई सड़कों की हालत बदहाल हो गई है। वहीं ठेका कंपनी सड़कों की मरम्मत करने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रही है।

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