बिलासपुर। जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की भीड़ पर जनहित याचिका के साथ कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने डीजी जेल को दोबारा शपथपत्र देकर यह बताने कहा है कि, प्रदेश की जेलों में भविष्य में कैदियों की संख्या बढ़ती है तो शासन की इसके लिए क्या कार्ययोजना है।
प्रदेश की जेलों में अमानवीय परिस्थितियों को लेकर जनहित याचिका दायर हुई। हाईकोर्ट के संज्ञान में भी यह बात आई कि जेलों में कैदियों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसे अदालत ने स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर सुनवाई शुरू की है। सभी मामलों की चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में एक साथ सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता रणवीर मरहास को न्यायमित्र नियुक्त किया था। लगातार चल रही सुनवाई में शासन ने पूर्व में बताया था कि जेलों में कैदियों के स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं को लेकर काम किया जा रहा है। इसी तरह रायपुर व बिलासपुर जिले में विशेष जेलों की स्थापना व बेमेतरा में खुली जेल शुरू करने की बात सरकार द्वारा कही गई है। सरकारी वकील ने कहा था कि रायपुर जिले में विशेष जेल हेतु भूमि मिल चुकी है। बेमेतरा में भी एक खुली जेल की स्थापना की जा रही है। इसका काम अंतिम चरण पर है। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने शासन से जेलों में हो रहे सुधार और कार्य योजना पर एक शपथपत्र देने को कहा था।
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की लगभग सभी जेलों में क्षमता से कई गुना अधिक कैदी हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने हत्या के मामले में 20 साल से जेल में बंद आरोपी की बेटी और माता-पिता के पत्र पर जानकारी जुटाई तो पता चला कि जेलों की कुल क्षमता 15485 है, जबकि यहां 19476 कैदी बंद हैं, यानी 3991 अधिक। 354 कैदी 20 साल से जेलों में बंद हैं। इनमें से कई गंभीर रूप से बीमार हैं। वहीं, 82 मासूम अपनी मां के साथ जेलों में रह रहे हैं।