copyright

High Court Breaking : छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल बदहाल, बेड और वेंटिलेटर की कमी के कारण शिशुओं की मौत, अब देनी होगी रिपोर्ट

 





बिलासपुर। हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में बिस्तर और वेंटिलेटर की कमी के कारण नवजात शिशुओं की मृत्यु के मामले में संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रजनी दुबे की बेंच ने राज्य के वकील को संबंधित प्रकरण में वस्तुस्थिति की जानकारी लेकर प्रदेश शासन से निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा है। साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार,स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, इस मामले में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करेंगे। प्रकरण की अगली सुनवाई 8 मई 2024 रखी गई है।


 आंकड़ों से प्रदेश शिशु मृत्यु और मातृ स्वास्थ्य की विकट स्थिति का पता चलता है। विशेषकर यह नवजात शिशुओं और माताओं

की मौतों की उच्च संख्या को उजागर करता है। आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में 40,000 से अधिक बच्चे, जो 0 से 5 आयु वर्ग के हैं, जीवित नहीं रह पाए हैं।  महत्वपूर्ण यह भी है कि इनमें से लगभग 25 हजार बच्चे जन्म के 28 दिनों तक भी जीवित नहीं रह पाए। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मुद्दा मानते हुए इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता बताई।

प्रकरण में यह जानकारी भी मिली कि वर्ष 2019 से 2023 के बीच 3,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है। प्रमुख कारणों में एनीमिया, कुपोषण और पर्याप्त देखभाल न हो पाना है। सरकारी अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर भी जरूरत से आधे ही हैं। कोर्ट ने इस स्थिति को भी चिंताजनक मानते हुए स्थिति में सुधार की जरूरत बताई है।

कोर्ट को जानकारी मिली कि एक सरकारी अस्पताल में कई नवजात शिशुओं को एक ही वार्मर में रखा जा रहा है। जबकि विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक नवजात को अलग-अलग वार्मर में रखा जाना चाहिए।दुर्ग के सरकारी अस्पताल का एक फोटो भी कोर्ट के समक्ष आया जिसमें पांच नवजात शिशुओं को एक ही वार्मर में रखा गया है। साथ ही अस्पतालों में ऑक्सीजन देने जैसी सुविधाएं नहीं हैं।बच्चों के इलाज के लिए जरूरी सेटअप भी नहीं है।

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.