बिलासपुर। दैनिक भोगी कर्मचारियों को नियमित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रस्तुत सभी एसएलपी खारिज कर दी हैं। इससे पहले हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपील खारिज की थी। सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि, हमें उच्च न्यायालय के निर्देश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय औअर जस्टिस प्रशांत मिश्रा की डीबी में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद बेंच ने विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज कर दी। निजी उत्तरदाताओं की ओर से इस अदालत में एडवोकेट सुश्री दीपाली पांडे उपस्थित हुईं।शीर्ष कोर्ट ने कहा कि लंबित आवेदन यदि कोई हो, जिसमें पक्षकार या हस्तक्षेप आवेदन भी शामिल हैं, उन्हें अब निराकृत कर दिया जायेगा।
इससे पहले सिंगल बेंच के निर्णय को बरकरार रख हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने माना था कि, राज्य शासन के आदेश पर इन कर्मचारियों को नियमित करना पूरी तरह विधिक कार्रवाई थी। गुरु घासीदास विवि में वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को राज्य शासन उच्च शिक्षा विभाग गत द्वारा 22 अगस्त 2008 को जारी आदेश के अनुसार तत्कालीन कुलपति प्रो एल एम् मालवीय ने 26अगस्त 2008को नियमितीकरण के आदेश जारी कर दिए थे। इससे पूर्व विवि कार्य परिषद की 22 जुलाई 2008 को हुई बैठक में भी कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस कार्रवाई से पहले ही राज्य शासन 5 मार्च 2008 को तृतीय व चतुर्थ वर्ग कर्मियों को नियमित करने एक सर्कुलर जारी कर चूका था। इस बीच 15 जनवरी 2009 को यह विवि केन्द्रीय यूनिवर्सिटी बन गया। इसके साथ ही यहाँ केन्द्रीय विवि एक्ट 2009 लागू हो गया। यह शर्त भी लागू हुई कि जैसे कर्मचारी लाये गये हैं विसे ही रखे जायेंगे। सेवा शर्तों को बिना राष्ट्रपति की अनुमति के बदला नहीं जायेगा। लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।