बिलासपुर। बर्खास्त हेड कांस्टेबल को मौत के बाद न्याय मिला है। हाईकोर्ट ने उनके विधिक उत्तराधिकारियों को बकाया वेतन- भत्ते सहित अन्य लाभ देने के निर्देश दिए हैं। मामला एक रायफल गुमने का था, बाद में उसी रायफल से एक आरक्षक की मौत हो गई। हेड कांस्टेबल को ड्यूटी में लापरवाही के लिए दंडित किया गया था। हेड कांस्टेबल ने खुद को निर्दोष बताते हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसी बीच उनकी मौत के बाद हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर कर याचिकाकर्ता के विधिक उत्तराधिकारियों को समस्त लंबित वेतन और अन्य लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता एलेक्सियस मिंज महासमुंद के आरक्षित पुलिस स्टेशन में हेड कांस्टेबल के रूप में कार्यरत थे। उन्हें 3 फरवरी 2013 को आरोप-पत्र देकर हथियारों और गोला-बारूद की जाँच में लापरवाही का दोषी बताया गया। गणतंत्र दिवस समारोह से पहले महासमुंद के मिनी स्टेडियम में ड्यूटी लगाई गई थी। चार गार्डों के प्रभारी होने के साथ वे रायफलों की सुरक्षा में लगे थे। इसी दौरान एक रायफल गयब हो गई और उससे चली गोली से एक कांस्टेबल दिनेश यादव की मौत हो गई। उनके खिलाफ संयुक्त जांच की गई। बाद में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। वर्ष 2020 में याचिका पर फैसला आने से पूर्व ही उनकी मौत हो गई। केस में उनके विधिक उत्तराधिकारियों पत्नी व पुत्रों को जोड़ा गया। सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आरोप-पत्र छत्तीसगढ़ सिविल सेवा के नियम 18 के मानदंडों के विपरीत है। बिना आदेश के इस मामले में संयुक्त जांच नहीं की जा सकती।हाईकोर्ट ने सुनवाई कर विधिक उत्तराधिकारियों को लंबित वेतन और समस्त लाभ प्रदान करने का निर्देश दिया है।