बिलासपुर। कवर्धा हादसे पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में दुर्घटनाओं पर रोक न लगने पर चिंता जाहिर की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और नेशनल हाईवे अथॉरिटी से पूछा कि सड़क हादसे रोकने के लिए उपाय क्यों नहीं किए जा रहे? सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कितना अमल हुआ, इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 25 जून को रखी गई है।
कवर्धा में हुए सड़क हादसे को हाईकोर्ट ने बहुत गंभीरता से लिया है। डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदेश में दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। पहले भी इस हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं पर निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी दुर्घटनाएं रोकने के लिए गाइड लाइन जारी की है। राज्य में इसका कितना पालन हुआ? हर बार एक शपथ पत्र दे दिया जाता है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता। यह बताएं कि राज्य सरकार सड़क हादसे रोकने के लिए
क्या उपाय कर रही है?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता से पूछा कि क्या प्रदेश में रोड सेफ्टी कमेटी है। अगर है तो क्या कर रही है। प्रदेश सरकार ने दुर्घटनाएं रोकने के लिए अब तक कितने निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करने के लिए क्या किया है अब तक? कोर्ट ने राजमार्ग पर स्पीड पर कंट्रोल के लिए एनसीआर में ऑटोमैटिक सिस्टम का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां क्यों नहीं हो सकता? वाहनों के फिटनेस पर भी सवाल उठाते हुए कोर्ट ने 15 साल पुराने वाहनों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते सवाल किया कि क्या यहां ऐसी कोई जांच और प्रक्रिया हुई?
यह है मामला
कवर्धा में 20 मई को भीषण सड़क हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में 18 महिलाएं और एक पुरुष थे। दरअसल यह हादसा पिकअप के पलट कर 30 फ़ीट गहरी खाई में गिरने की वजह से हुआ। पिकअप में करीब 36 लोग सवार थे, ये सभी तेंदूपत्ता तोड़कर वापस लौट रहे थे। हादसा कुकदूर थाना क्षेत्र के बाहपानी में हुआ था। सभी मृतक सेमरहा गांव के रहने वाले थे। जिस सड़क पर यह हादसा हुआ था वह प्रधानमंत्री सड़क में आती है। ये कुई से होते हुए नेऊर और रुकमीदादर को जोड़ती है। इसके बाद मध्य प्रदेश शुरू हो जाता है। घटना स्थल सुदुर वनांचल और पहाड़ी क्षेत्र में है। यहां पर मोबाइल नेटवर्क भी काम नहीं करता।