बिलासपुर। हाईकोर्ट ने पत्नी के मानसिक विकार से ग्रस्त होने पर तलाक को उचित ठहराया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि विवाह के बाद पत्नी 4 दिन ही पति के साथ रही। उसकी मानसिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपने वैवाहिक दायित्वों के निर्वहन में असमर्थ थी।
विवाह को ट्रायल कोर्ट ने शून्य घोषित करने का आदेश दिया था। इस पर पत्नी की ओर से हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की गई। डिवीजन बेंच ने भी अपील खारिज करते हुए कहा कि, इस तरह की अवस्था में महिला विवाह के लिए अयोग्य है।
कोटा रायपुर निवासी सुजीत तिवारी का विवाह जामुल भिलाई निवासी युवती से हुआ था। शादी के बाद से ही इसकी पत्नी का व्यवहार असामान्य था। वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थी। बाद में सुजीत को यह जानकारी हुई कि मनोरोग चिकित्सक के यहाँ उसका पहले से इलाज चलता रहा है। शादी के समय यह तथ्य छिपाया गया। पति ने दुर्ग फैमिली कोर्ट में विवाह को अमान्य करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। ट्रायल कोर्ट ने सबंधित पक्षों के बयान और साक्ष्यों के बाद आवेदक के पक्ष में आदेश पारित कर दिया। इस आदेश के विरुद्ध पत्नी की तरफ से प्रस्तुत अपील की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट ने कहा कि 13 पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के अवलोकन से पता चलता है कि 29 मई 2019 को विवाह संपन्न होने के बाद पति- पत्नी 4 दिन ही साथ रहे हैं। साक्ष्यों के अनुसार डॉ. प्रमोद गुप्ता ने पत्नी का इलाज किया था, जो एक मनोचिकित्सक था। शादी से पहले भी उसकी मानसिक बीमारी के लिए डॉक्टरवने अलग-अलग तारीखों पर दवाएँ लिखी थीं। यह स्पष्ट है कि अनावेदक पत्नी मानसिक विकार से पीड़ित है और विवाह के लिए अयोग्य है।
डिवीजन बेंच ने कहा कि इसलिए, ट्रायल कोर्ट ने पक्षों के नेतृत्व में दिए गए सबूतों पर उचित विचार करने के बाद यह मानने में कोई अवैधता नहीं की है कि, आवेदक की पत्नी मानसिक विकार से पीड़ित है। इसके साथ ही डीबी ने अपील खारिज कर विवाह को अमान्य घोषित करने का आदेश दिया।