प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना यानी अपना पैसा लूटाने जैसा है। प्राइवेट स्कूल संचालक न केवल मोटी फीस वसूलते हैं बल्कि चुनिंदा दुकानों से किताब-कापी और ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य करके भी लूटते हैं। स्कूल संचालकों की इन मनमानी पर पहली बार मध्य प्रदेशमें बड़ी कार्यवाही हुई है। इसे देखते हुए यहां भी ऐसी ही कार्यवाही की मांग उठने लगी है। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने की मांग रायपुर में भी तेज होने लगी है। जबलपुर (मध्य प्रदेश) की तर्ज पर यहां भी स्कूल संचालकों से पैसा वापस लेकर पालकों को लौटने की मांग कलेक्टर से की जा रही है। समाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने इस संबंध में रायपुर कलेक्टर को पत्र लिखा है। इस में शुक्ला ने जबलपुर कलेक्टर की तर्ज़ पर निजी स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर डाली जा लूट पर अंकुश लगा कर स्कूलों से वसूली करके पालकों को उनका पैसा वापस दिलाने का आग्रह किया है।
जबलपुर कलेक्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि जिला प्रशासन के पास निजी स्कूलों की मनमानी, फीस वृद्धि और निश्चित दुकान से ही यूनिफॉर्म स्टेशनरी की खरीदारी का दबाव बनाने की शिकायतें आ रही थी। जिसके तहत जिला प्रशासन ने जबलपुर जिले के सभी स्कूलों की जांच पड़ताल शुरू की। इस जांच पड़ताल में शहर के नामी 11 स्कूलों में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। कलेक्टर ने बताया कि जबलपुर के 11 स्कूलों ने 21 हजार बच्चों से 81 करोड़ 30 लाख रुपए की अतिरिक्त फीस वसूली है। इतना ही नहीं इन निजी स्कूलों ने पुस्तक विक्रेताओं और प्रकाशकों के साथ मिली भगत करके करोड़ों रुपए का वारा न्यारा किया है।
फीस बढ़ा दी
कलेक्टर ने कहा कि मध्य प्रदेश में साल 2018 में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को लेकर नियम बना दिए गए थे, लेकिन इन निजी स्कूल संचालकों ने फीस वृद्धि के नियमों को दरकिनार कर मनमानी तरीके से फीस बढ़ा दी। जबलपुर के क्राइस्ट चर्च बॉयज स्कूल,ज्ञान गंगा स्कूल, स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल, लिटिल वर्ल्ड स्कूल, चैतन्य स्कूल सेंट ऑलोसी स्कूल, सालीवाडा सेंट ओलोसी घमापुर, सेंट ओलाइसी सदर और क्राइस्ट चर्च घमापुर शामिल हैं।
80 आरोपी
कलेक्टर के मुताबिक इन स्कूलों ने अभिभावकों से अपराधिक घटना चक्र को अंजाम दिया है। इसलिए जबलपुर शहर के 9 थानों में इन स्कूल संचालकों के खिलाफ धारा 420, 471 और 472 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस पूरे मामले में 80 लोगों को आरोपी बनाया गया है।