बिलासपुर. एपीएल कार्ड धारक आखिर कैसे हो गए बीपीएल ऐसे ज्यादा तर राजनैतिक रसूख वाले ही है गरीबों के नाम राशन के नाम ज्यादा राशन दुकानों में आवंटित अनाज सामग्री कालाबाजारी हो रही गरीब राशन के लिए दर-दर भटक रहे गरीबों का राशन कौन-कौन बेचकर खा रहा गरीबों के हक पर मार पीडीएस की कालाबाजारी
सुषमा सहकारी प्राथमिक उपभोक्ता भंडार नया सरकंडा मुक्तिधाम चौक बिलासपुर छत्तीसगढ़ वार्ड क्रमांक 65 शास्त्री नगर,ID-1079, पंजीयन क्र.- 3581 शासन की बीपीएल परिवारों को रियायती दर पर सस्ता राशन देने की महात्वाकांक्षी योजना का लाभ औद्योगिक क्षेत्र के गरीबों को समय से नहीं मिल पा रहा है। पिछले दो माह से सैकड़ों बीपीएल हितग्राही पीडीएस दुकानों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। दुकानों के अधिकांश समय बंद रहने से उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है।
शासन ने भले ही तीसों दिन राशन दुकानें खोलने के आदेश दिए हैं,मगर विभागीय अधिकारियों की अनदेखी की वजह से दुकान संचालक सेल्समैन आदेश को ताक में रखकर महीनों में बमुश्किल दो तीन दिन ही दुकान खोलते हैं। इस तरह सेल्समैन अधिकारियों से सांठ-गांठ कर शासन की इस अति महत्वपूर्ण योजना को पलीता लगा रहे हैं। मालूम हो कि शासन द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को माह के पहले सप्ताह में खाद्यान्न कोटा आवंटित कर दिया जाता है,दुकानदारों ने दो दिन राशन बांटकर दुकानें बंद कर दी। जिससे कई परिवार राशन पाने भटक रहे हैं। वार्ड 65 के हितग्राही का कहना है कि वे बीते कई महीने से राशन पाने के लिए दुकान के चक्कर काट रहे हैं। पहले दुकानदार राशन नहीं आने का कहकर लौटा रहा था और अब कई दिन से दुकान बंद होने से हमें राशन नहीं मिल पा रहा। दुकान खुले तो हम राशन ले सकें। इसी तरह के हालात अन्य वार्डों में भी देखने को मिल रहे हैं।
दुकानदारों की कराई जाएगी जांच शासन के प्रतिदिन राशन दुकान खोलने के आदेश हैं।ताकि हितग्राही किसी भी दिन राशन ले सके। यदि बिलासपुर क्षेत्र के दुकानदार महीने में दो या तीन दिन दुकान खोल रहे हैं तो यह शासन के आदेश का उल्लंघन है। ऐसे दुकानदारों की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। राशन दुकान के दरवाजे पर ताला मारकर बैनर में लिख दिया गया है कि प्रिय हितग्राही बंधु खाद्यान्न आने पर ही सभी हितग्राहियों को खाद्यान्न दिया जायेगा l
राशन लेने गंवानी पड़ती है एक दिन की मजदूरी नगर के वार्ड 65 से पता चला कि पीडीएस की दुकानें महीने में दो तीन दिन ही खुलती हैं।इनके खुलने और बंद होने का समय भी निश्चित नहीं है। इस कारण सुबह से ही लंबी कतारें लग जाती हैं। कई गरीब परिवारों को एक रु कीमत पर सस्ता अनाज पाने के लिए एक दिन की मजदूरी छोड़नी पड़ती है। इस तरह की स्थिति का सामना कई गरीब परिवारों को करना पड़ता है।