Bilaspur. कोविड काल में काम करते हुए शिक्षकों की मौत के मामले में मुआवजे को लेकर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने शासन से जवाब माँगा है इसी तरह पुलिस कर्मियों के मामले में पेश जनहित याचिका पर भी साथ सुनवाई हुई , जिसमें शासन ने जवाब में कहा है कि, इसमें पहले से ही मुआवजे का प्रावधान है
दिलीप सारथी ने एक जनहित याचिका पेश कर स्वास्थ्य कर्मियों की तरह शिक्षकों को भी कोविड काल में काम करने की वजह से मुआवजा देने की मांग की थी सारथी ने अपनी याचिका में कहा था कि , कोविड काल में मरीजों के उपचार और जांच में लगे कुछ स्वास्थ्य कर्मचारियों की जान चली गई थी इस प्रकार के मामले में केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा दिया था *इसी तरह मरीजों की ट्रेसिंग और कोरोना मरीजों की मौत के बाद विशेष रूप से बनाये गये अंत्येष्टि स्थल पर ड्यूटी कर रहे कई शिक्षक भी बीमार हुए थे इनमें से कुछ ने बाद में दम तोड़ दिया था , ऐसे परिवारों को राज्य शासन को भी 50 लाख का मुआवजा देना चाहिए *प्रकरण में लम्बे समय से सुनवाई चल रही है आज बुधवार को चीफ जस्टिस की डीविजन बेंच में इस पर शासन का जवाब नहीं आया दूसरी ओर लोकेश कावड़िया ने पुलिस कर्मियों की कोरोना ड्यूटी के दौरान हुई मौत पर जो पी आई एल पेश की थी, उसमें आज शासन ने जवाब पेश कर बताया कि पुलिस कर्मियों के लिये शासन की नीति में यह पहले से ही प्रावधान है हाईकोर्ट ने शिक्षकों के मामले में शासन से यह जवाब माँगा है कि, शासन इन प्रकरणों में मुआवजे के लिये क्या कार्रवाई कर रहा है मामले को अब समर वेकेशन के बाद निर्धारित किया गया है