बिलासपुर। स्थानीय सिटी कोतवाली परिसर में मल्टी लेवल कार पार्किंग के भूतल पर दुकान निर्माण और बिना आरक्षण नियमों के दुकानों के आवंटन के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। मामले में बुधवार को भी सुनवाई की जाएगी। बहस के दौरान दुकान आवंटन में आरक्षण नियमों का पालन न होने का मुद्दा उठा।
उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने राज्य शासन और बिलासपुर स्मार्ट सिटी कंपनी को इस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए निर्देश दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव का तर्क था कि, स्मार्ट सिटी का स्वामित्व राज्य सरकार और नगर निगम का है इस लिए वह सरकारी कंपनी है और उस पर निगम के आरक्षण नियम पूरी तरह लागू होते है। दुकानों का निर्माण बिना नक्शा पास किये और भूखण्ड का स्वामित्व न होने को भी चुनौती का आधार बनाया गया। गौरतलब है कि स्वयं शासन ने स्वीकार किया कि पहले दुकानों की निर्माण की कोई योजना नहीं थी और केवल कार पार्किंग बनाई जा रही थी परन्तु बाद में पुलिस विभाग के लिए मकानों के निर्माण के लिए धन राशि की व्यवस्था करने हेतु दुकाने निर्मित की गई है। याचिकाकर्ता नंद किशोर राज कार्यकर्ता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और महेश दुबे टाटा ने याचिका के साथ कार पार्किंग और दुकानों के फोटोग्राफ भी प्रस्तुत किए थे।
याचिका पर आज हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने महाधिवक्ता से दुकान आवंटन में आरक्षण के सवाल पर कहा कि, शासन भी अपनी नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान रखता है। पदों के रिक्त रहने पर एक प्रक्रिया अपनानी पड़ती है उसी तरह यहाँ भी होना चाहिए। मामले में बहस अधूरी रही।