मामला रायगढ़ जिले के तमनार का है। यहां के निवासी आशुतोष बोहिदार की मां के नाम पर जमीन और आवास है। जिंदल द्वारा यहां पर पॉवर प्लांट लगाने के लिए जमीन लेने की प्रक्रिया की जा रही थी। इसका आशुतोष ने विरोध किया। इस पर उसके खिलाफ थाने में 4-5 अलग अलग मामले दर्ज करा दिए गए। साथ ही जून 2022 में उसका नाम गुंडा सूची में भी शामिल कर दिया गया। चुनाव के दौरान गुंडा सूची पुलिस ने जारी की तो आशुतोष को इसकी जानकारी हुई। उसने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकलवाई तो पता चला कि उसके खिलाफ 5 मामले विभिन्न मामलों में दर्ज हैं। इनमें शांतिभंग, धमकी, हमले आदि प्रकरण शामिल हैं।
आरोपी को पता ही नहीं
आशुतोष ने वकील हरि अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि पुलिस ने जिन प्रकरणों में आरोपी बनाया गया है, उसकी जानकारी उसे ही नहीं है। बिना किसी नोटिस, समंस या प्रक्रिया के उसको गुंडा घोषित कर सूची में शामिल भी कर दिया। जबकि न तो वह किसी प्रकरण में थाने, लॉकअप या जेल गया है, न कभी उसकी कभी कोई पेशी हुई है। जबकि गुंडा सूची में शामिल होने वाले आदतन बदमाश, सजायाफ्ता या आपराधिक प्रवृत्ति के लोग होते हैं। इसलिए उसका नाम सूची से हटाकर कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने तर्कों से सहमत होकर याचिकाकर्ता का नाम सूची से हटाने के निर्देश दिए।