बिलासपुर। बिलासा दाई एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग और रक्षा मंत्रालय से वापस ली गई 287 एकड़ जमीन का सीमांकन न होने का मुद्दा शुक्रवार को उठा। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन, एयरपोर्ट अफसरों, राजस्व विभाग और सेना को निर्देश दिए कि बिना देरी किए दो सप्ताह में राज्य के चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बैठक करें। इसमें डीजीसीए के अधिकारी, केन्द्री उड्डयन विभाग के अधिकारी, छग विमानन विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। सीमांकन के लिए राजस्व विभाग के साथ बैठक की जाए। सभी मिलकर तय करेंगे और अंतिम फैसला लेंगे कि बिलासपुर एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग के लिए डीवीओआर नेविगेशन सिस्टम इंस्टाल किया जाएगा या सैटेलाइट पर आधारित तकनीक का उपयोग होगा।
नाइट लैंडिंग का काम केंद्र और राज्य सरकार के बीच साल भर से अटका हुआ है। सुनवाई के बाद हाईकाेर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर क्यों केन्द्र सरकार और डीजीसीए के डायरेक्शन के हिसाब से डीवीओआर नेविगेशन सिस्टम इंस्टाल नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार को मामले में जवाब के लिए दो दिन का समय दिया गया है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार सैटेलाइट पर आधारित तकनीक का उपयोग करना चाहती है और इसके लिए केन्द्र सरकार के पास आवेदन किया गया है तो केन्द्र और डीजीसीए डीवीओआर तकनीक के पक्षधर हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि केन्द्र सरकार यह कह चुकी है कि नाइट लैंडिंग के लिए डीवीओआर नेविगेशन सिस्टम इंस्टाल करना होगा। इसके बाद ही अनुमति मिलेगी। इसके बाद भी राज्य सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है। नियम के अनुसार जब तक डीजीसीए इस तकनीक के उपयोग की मंजूरी नहीं देगा तब तक बिलासपुर एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग का काम आगे नहीं बढ़ेगा।
एयरपोर्ट को 4सी श्रेणी के मापदंड के अनुरूप विकसित करने के लिए जरूरी 287 एकड़ जमीन वापसी की मंजूरी सेना से मिल गई है। सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में इसकी नापजोख होनी है। 4 अप्रैल 2024 इस जमीन का सीमांकन अधूरा रह गया था। इसके बाद से टीम में शामिल कोई भी अधिकारी सीमांकन करने नहीं पहुंचे। हाईकोर्ट ने इसे 15 दिन में पूरा करने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।