बिलासपुर। अंबिकापुर जिले के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और नर्स गायब रहने के कारण महिला द्वारा फर्श पर बच्चे को जन्म देने के मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। सोमवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को शपथपत्र पर पूरी जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने चीफ सेक्रेटरी, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग संचालक, कलेक्टर सरगुजा के साथ सीएमओ अंबिकापुर, सिविल सर्जन अंबिकापुर और मेडिकल आफिसर नवानगर को भी नोटिस जारी किया है।मीडिया में आई खबरों के आधार पर कोर्ट ने सुनवाई शुरू की है। इसमें यह बात सामने आई थी कि अंबिकापुर जिला मुख्यालय से लगे नवानगर दरिमा उप स्वास्थ्य केन्द्र में 8 जून 2024 की सुबह एक 25 वर्षीय गर्भवती महिला ने फर्श पर बच्चे को जन्म दिया। प्रसव पीड़ा होने पर उक्त महिला मितानिन (सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के साथ उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, लेकिन वहां कोई डॉक्टर और नर्स नहीं थे।
ग्राम पंचायत नवानगर निवासी प्रियावती पैकरा (25) पति राजकुमार पैकरा (25) प्रसव पीड़ा होने पर परिजन और मितानिन के साथ नवानगर उप स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची थी। लेकिन यहां डॉक्टर व नर्स ड्यूटी से गायब थे। परिजन व मितानिन ने कई बार डॉक्टर व नर्स को फोन लगाया पर किसी ने नहीं उठाया। फिर मितानिन ने फर्श पर लिटाकर किसी तरह प्रसव कराया। डॉक्टर और नर्स नहीं होने से प्रसूता और नवजात शिशु को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल सकी। यहां तक कि प्रसव के बाद की देखभाल भी गांव की पारंपरिक दाई द्वारा की गई, क्योंकि उक्त स्वास्थ्य केंद्र पर केवल एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध था। रिपोर्ट में बताया गया कि यह पहला अवसर नहीं था जब ऐसी घटना हुई।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह बहुत खेदजनक स्थिति है। जब राज्य सरकार राज्य के दूरदराज के इलाकों में रहने वाली जनता को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारी मात्रा में धन खर्च कर रही है तो ऐसी स्थिति क्यों बन रही है। स्वास्थ्य केंद्रों के मामलों का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी- कर्मचारी जरूरत पर उपलब्ध नहीं हैं। सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए।
सुनवाई के बाद डीबी ने सचिव, , स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग, रायपुर को निर्देश दिया है कि, वे घटना के संबंध में उठाए गए कदमों के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें और सुनिश्चित करें जो वीडियो इस घटना का ऑनलाइन वायरल किया गया है, उसे आगे प्रसारित करने से भी तत्काल रोका जाए। शासन ने हालांकि कोर्ट में बताया कि संबंधित अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।