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High Court: अरपा को बचाने के लिए प्लान सिर्फ कागजों में, कोर्ट ने पूछा-10 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कब तक होगा

 




बिलासपुर। अरपा पुनरोध्दार मामले में शासन ने बुधवार को हाईकोर्ट को बताया कि उद्गम स्थल पर 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इसके साथ ही 5 एकड़ जमीन वन विभाग से ली जाएगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अरपा नदी में गंदे पानी को रोकने निगम की योजना के बारे में भी पूछा। कोर्ट ने कहा कि प्रस्तुत की गई रिपोर्ट और योजनाओं पर बजट का प्रावधान क्या है, कब तक काम शुरू होगा, इसकी जानकारी दें।




सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के समक्ष नगर निगम सहित 6 विभागों ने अरपा रिवाइवल प्लान पेश किया। जल संसाधन विभाग की ओर से ईई सतीश सराफ ने एनीकट योजनाओं का प्रस्ताव पेश किया। 

वहीं अरपा को प्रदूषण मुक्त करने निगम ने 285 करोड़ की योजना की जानकारी कोर्ट को दी। कोर्ट ने आईआईटी भिलाई की एक्सपर्ट टीम को अगली सुनवाई में तलब किया है ताकि प्रस्तुत किए गए प्लान की उपयोगिता का परीक्षण किया जा सके।





उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला और पेंड्रा के रहने वाले राम निवास तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें अरपा नदी में बाहरमास पानी और प्रदूषण मुक्त करने की जरूरत बताई गई है। अरपा में अभी प्रतिदिन 130 एमएलडी से अधिक गंदे पानी की निकासी हो रही है। कोर्ट ने दो साल पहले शासन को रिवाइवल प्लान बनाकर कार्य करने के आदेश दिए थे। इसके बाद बैठकें और निरीक्षण किया गया लेकिन कार्य में प्रगति नहीं हो पाई। अरपा में प्रदूषण रोकने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने पर काम चल रहा है, परंतु यह अभी अधूरा है। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में चल रही है।






जनहित याचिका पर निगम की ओर से बताया गया कि निगम एरिया यानी कोनी से दोमुंहानी तक अरपा में पहुंचने वाले सभी नालों के पानी की सफाई के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसमें मुख्यत चिल्हाटी और दोमुंहानी स्थित एसटीपी की क्षमता क्रमश: 17 एमएलडी से बढ़ाकर 40 और 54 से बढ़ाकर 90 एमएलडी करने का टारगेट है। नालों के पानी को नदी में पहुंचने के पहले ही रोक कर एनजीटी के मापदंड के मुताबिक स्वच्छ कर नदी में छोड़ा जाएगा। नालों के पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में स्वच्छ करने के बाद एनटीपीसी को बेचा जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले ही रियूज वाटर के इस्तेमाल के आदेश दे रखे हैं। रियूज वाटर की सप्लाई के लिए नगर निगम और एनटीपीसी सीपत के बीच एमओयू होना है, जो 2021 से पेंडिंग है।


कोर्ट के सामने यह बात भी सामने आई कि वन अधिकार पट्टा के तहत वन भूमि का आवंटन किया गया है। स्थानीय निवासी इसमें खेती कर रहे हैं। खेती के नाम पर भूजल का बड़े पैमाने पर दोहन भी हो रहा है। नदी के किनारे 200 के करीब बोरवेल  होने के कारण जलस्तर तेजी से गिर रहा है। अरपा के संरक्षण और भूजल स्रोत के संवर्धन के लिए बोरवेल बंद करना जरूरी है। यह भी बताया गया कि मरवाही के आधे हिस्से में वर्षा होती है और आधा हिस्सा सूखा रह जाता है। इसका असर भी अरपा के जल स्रोत पर पड़ रहा है।

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