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संसद भवन में किसने हटवाईं महापुरुषों की प्रतिमाएं? स्पीकर ओम बिरला ने खुद दिया जवाब......






New Delhi.संसद परिसर में महात्मा गांधी और डॉ बी आर आंबेडकर की प्रतिमाओं को दूसरी जगह स्थापित करने से जुड़े विवाद में लोकसभा के निवर्तमान अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि ‘किसी भी प्रतिमा को हटाया नहीं गया है।’ बिरला ने कहा कि सभी महापुरुषों की प्रतिमाओं को ‘रीलोकेट’ किया गया है और परिसर में ही ‘प्रेरणा स्थल’ पर एक ही जगह सबको स्थापित करने का फैसला किया गया है। बिरला ने कहा कि उन्होंने इस बारे में ‘कई लोगों से चर्चा और विचार-विमर्श’ करने के बाद यह निर्णय किया और इससे न तो सरकार का कोई लेनादेना है और न ही उसने हस्तक्षेप किया।







संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल का लोकार्पण


रविवार को उप राष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया, जहां 15 महापुरुषों और स्वंतत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजु सहित कई सांसद उपस्थित थे। महात्मा गांधी और आंबेडकर की प्रतिमाएं पहले संसद परिसर में ऐसी जगह पर थीं, जहां विपक्ष सरकार के खिलाफ विरोध जताने के लिए जुट जाया करता था। कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि प्रतिमाओं को रीलोकेट करने का फैसला सरकार ने ‘एकतरफा’ तौर पर किया।


दिसंबर 2018 में आखिरी बैठक


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा कि लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक, तस्वीरों और मूर्तियों से जुड़ी संसद की समिति की आखिरी बैठक 18 दिसंबर 2018 को हुई थी और 17वीं लोकसभा में उसका दोबारा गठन भी नहीं किया गया। उन्होंने लिखा कि महात्मा गांधी की प्रतिमा को एक नहीं, बल्कि दो बार हटाया गया है।







15 महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां


बिरला ने कहा, ‘लोकसभा परिसर में 15 महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां अलग-अलग स्थानों पर लगी थीं, जिससे उनकी ठीक से देखरेख नहीं हो पा रही थी और आंगतुकों को भी पता नहीं चल पाता था कि कहां किस महापुरुष की प्रतिमा है। समय-समय पर पहले भी मूर्तियों को शिफ्ट किया जाता रहा है। संसद के नए भवन के निर्माण के दौरान महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू और चौधरी देवी लाल की प्रतिमाओं को परिसर में ही अन्य स्थान पर सम्मानपूर्वक स्थानांतरित किया गया था।


लोकसभा स्पीकर का फैसला


बिरला ने कहा, ‘इस बारे में हमने कई लोगों से समय-समय पर चर्चा की है। इसमें विचार आया कि सभी प्रतिमाओं को एक जगह पर होना चाहिए, जिसका नाम प्रेरणा स्थल रखा जाए, जिससे संसद परिसर में आने वाले लोग एक ही जगह पर महापुरुषों को श्रद्धांजलि दे सकें और उनके जीवन-दर्शन की जानकारी ले सकें। संसद परिसर से जुड़ा ऐसा फैसला लोकसभा स्पीकर का होता है। सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करती है।


पूरे साल खुला रहेगा


बिरला ने कहा कि पुराने संसद भवन और पार्लियामेंट की लाइब्रेरी बिल्डिंग के बीच मौजूद प्रेरणा स्थल पूरे साल विजिटर्स के लिए खुला रहेगा और महापुरुषों के सम्मान में वहां कार्यक्रम भी होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इन प्रतिमाओं के पास नई टेक्नॉलजी के जरिए महापुरुषों की जीवन गाथा भी उपलब्ध कराई जाएगी। लोग QR कोड के जरिए उपलब्ध होने वाली जीवन गाथा से प्रेरणा ले सकेंगे।

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