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Big Breaking: हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,सिटी कोतवाली स्थित मल्टीलेवल पार्किंग दुकानों का आवंटन हुआ रद्द

 





Bilaspur. बिलासपुर निवासी आदिवासी कार्यकर्ता नंदकिशोर राज और शनिचरी बाजार के व्यापारी महेश दुबे टाटा के द्वारा लगाई गई जनहित याचिका पर हाई कोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने ऐतिहासिक फैसला दिया है और बिना आरक्षण नियमों का पालन किया किए जा रहे दुकान आवंटन जो की सिटी कोतवाली मार्ग मल्टी लेवल पार्किंग परिसर में की गई थी को निरस्त कर दिया है । इस फैसले में राज्य सरकार को मल्टी लेवल पार्किंग बिल्डिंग का फायर और सेफ्टी ऑडिट करने का भी निर्देश दिया गया है क्योंकि इसके संबंध में याचिका कर्ताओं के वकील सुदीप श्रीवास्तव के द्वारा विशेष जोर दिया गया था कि पहले इस बिल्डिंग में दुखने प्रस्तावित नहीं थी और पार्किंग के प्रथम फ्लोर को दुकानों में परिवर्तित करने के लिए सर वेंटीलेशन आदि समाप्त कर दिया है और यह आगजनि घटना पर बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।


हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिंह और सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने यह फैसला देते हुए कहा कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार या उनकी उपक्रम केवल इस आधार पर कि पैसे की कमी है जो आरक्षण के नियम है उनको बाईपास करके कोई कार्य नहीं कर सकते फैसले में न्याय के उसे सिद्धांत को पुणे प्रतिपादित किया गया जिसमें कहा गया है कि यदि कोई नियम या अधिनियम किसी कार्य को एक निश्चित तरीके से करने की बात कहता है तो वह कार्य केवल उसी तरह किया जाएगा अन्यथा किया ही नहीं जाएगा अर्थात यदि दुकानों का आवंटन के लिए 1994 का नियम लागू है तो वह स्मार्ट सिटी लिमिटेड पर भी लागू होगा क्योंकि उसकी पैरेंट बॉडी नगर निगम है और राज्य सरकार उसमें अंश धारक है दोनों ही संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य की परिभाषा में आते हैं जिन पर यह नियम लागू करना का दायित्व है।


हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम को इन दुकानों को नए सिरे से आवंटन करने के लिए आरक्षण नियमों का पालन करते हुए पुनः नीलामी करनी होगी इन आरक्षण नियमों के तहत एससी एसटी ओबीसी के अलावा महिला दिव्यांग स्वतंत्रता सेनानी पूर्व सैनिक आदि कई ऐसी श्रेणियां शामिल हैं जिन्हें सरकार के सहयोग और समर्थन की आवश्यकता होती है। यह नीलामी बिल्डिंग का फायर और सेफ्टी ऑडिट करने के बाद की जाएगी।


याचिका कर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने यह बहस की वहीं राज्य सरकार की ओर से तथा स्मार्ट सिटी की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत और केंद्र सरकार की ओर से अप सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा के द्वारा बहस की गई

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