बिलासपुर। स्थानांतरण की आड़ में शिक्षकों के अटैचमेंट को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा डीईओ को शिक्षकों के अटैचमेंट का अधिकार नहीं है। सिंगल बेंच से याचिका खारिज होने पर शिक्षकों ने डीबी में अपील की थी।
बस्तर क्षेत्र के शिक्षक दयानाथ कश्यप, चंद्रशेखर पांडे, दयाराम बघेल, मिरी राम देवांगन बस्तर क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ हैं। उन्होंने अपने अटैचमेंट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगल बेंच से याचिका खारिज होने पर उन्होंने वकील शैलेन्द्र कुमार बाजपेयी के माध्यम से रिट अपील दायर की। कोर्ट ने उन्हें क्लब करके एक साथ सुना।
यह है मामला
मामले के संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि उक्त शिक्षकों को 14 एवं 15 मार्च 2024 को आदेश जारी कर मूल स्थान से स्थानान्तरण कर अन्य जगहों पर अटैच कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने जिला शिक्षा और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पर द्वेषवश कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा कि उनको ऐसा आदेश पारित करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। राज्य शासन की स्थानांतरण नीति के अनुसार
मंत्री से अनुमोदन प्राप्त कर कलेक्टर द्वारा उनका स्थानांतरण किया जा सकता है। साथ ही यह कार्रवाई चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान की गई, इसलिए चुनाव आयोग से भी अनुमति लेना जरूरी था। सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर शिक्षकों को स्थानांतरित पद पर तत्काल कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए। इस आदेश के विरुद्ध डिवीजन बेंच में रिट अपील की गई।
सिंगल बेंच ने आदेश की गलत व्याख्या की
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान अपीलकर्ताओं की ओर से वकील बाजपेयी ने कहा कि सिंगल बेंच ने पारित आदेश की ग़लत व्याख्या की है। अपीलकर्ताओं का तबादले की आड़ में अटैचमेंट किया जा रहा है। साथ ही स्थानांतरण या अटैच करने का अधिकार डीईओ या बीईओ को नहीं है। कोर्ट के नोटिस पर डीईओ ने भी शपथपत्र के साथ जानकारी दी कि अपीलार्थी शिक्षकों ने स्थानांतरित जगह पर अभी ज्वाइन नहीं किया है। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए डीईओ और बीईओ द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश को खारिज कर दिया।