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Breaking: सिम्स जिस उद्देश्य से बना वह पूरा हो, छत और दीवारों से टपक रहा पानी, हाईकोर्ट ने का- सिस्टम सुधारें

 



बिलासपुर। सिम्स की व्यवस्था सुधार के लिए बिलासपुर कलेक्टर की ओर से गुरुवार को हाईकोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया है कि सिम्स में मरीजों के परिजन के लिए शेड और खाना बनाने की अलग से व्यवस्था की गई है। साथ ही लगातार निरीक्षण कर व्यवस्था में सुधार कराए जा रहे हैं। इस दौरान न्याय मित्र की ओर से बताया गया कि सिम्स में जगह-जगह पर सीपेज है, पानी टपक रहा और ड्रेनेज सिस्टम भी नहीं है। कोर्ट ने कलेक्टर को निर्देशित किया कि व्यवस्था सुधारने के लिए लगातार काम कराते रहें। साथ ही अस्पताल के सीपेज और ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के निर्देश दिए गए हैं। अगली सुनवाई 2 अगस्त को रखी गई है।









सिम्स मेडिकल अस्पताल में आम मरीजों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसकी जानकारी मिलने पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जा रही है। याचिका में बात सामने आई कि दूर-दूर से यहां आने वाले मरीज कुछ दिन भर्ती होने के बाद या तो मजबूर होकर वापस लौट जाते हैं या किसी प्राइवेट हॉस्पिटल का रुख कर लेते हैं। हाईकोर्ट ने मामले में शासन से जवाब भी मांगा था। कलेक्टर ने कहा कि लगातार निरीक्षण कर व्यवस्था में सुधार कराए जा रहे हैं। इस पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने लगातार अव्यवस्था और मरीजों को हो रही परेशानी दूर करने के लिए कलेक्टर को मॉनिटरिंग करते रहने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से भी पूछा कि व्यवस्था ठीक करने के लिए शासन द्वारा क्या किया जा रहा है, इसकी जानकारी दें। उल्लेखनीय है कि शासन की ओर से नियुक्त ओएसडी ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसमें स्वीकार किया गया था कि सिम्स में वर्क कल्चर पूरी तरह प्रभावित हो गया है। इसे वापस पटरी पर लाने में अभी बहुत समय लगेगा। 








पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा था कि सिम्स में आवश्यक जांच क्यों नहीं हो पा रही है? इसके लिए क्या व्यवस्था है और क्या योजनाएं हैं? हाईकोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित होना चाहिए कि सिम्स को स्थापित करने के उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। यहां मशीनें-उपकरण दशकों पुराने हैं। सिम्स की बिल्डिंग की स्थिति, विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता, स्टाफ की कमी, साफ-सफाई, जांच के लिए मशीनों की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा, बजट का आवंटन के हिसाब से व्यवस्था सुधारने कहा गया है।


सीटी स्कैन, सोनोग्राफी में दिक्कत, रिपोर्ट भी समय पर नहीं


गुरुवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने उपस्थित महाधिवक्ता से कहा कि,आम लोगों को बाहर निजी अस्पताल में 500 रुपए देने पड़ते हैं | सिम्स में कोई जांच नहीं हो पाती है,यह सब कैसे ठीक होगा| ओपीडी में पंजीयन के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है। ब्लड सैंपल जमा करने में दो से तीन दिन लग जा रहे, सीटी स्कैन, सोनोग्राफी की रिपोर्ट समय पर नहीं मिल रही।







कोर्ट ने सिम्स में साफ-सफाई पर खास ध्यान देने कहा है। बंद पड़ी सफाई मशीन के बारे में भी पूछा गया। बताया गया कि बैटरी डिस्चार्ज होने की वजह से कई बार सफाई मशीन काम नहीं करती। हाईकोर्ट के समक्ष यह बात भी सामने आई है कि सिम्स में पिछले एक दशक से साफ-सफाई का जिम्मा आउटसोर्सिंग से निजी कंपनी के पास है। हाउसकीपिंग, सुरक्षा, सफाई का बजट में दवाओं व उपकरणों के बजट से कहीं अधिक है, लेकिन कंपनी के काम की गुणवत्ता बेहद खराब है। सिक्यूरिटी भी लंबे समय से एक ही कंपनी के पास है। हाईकोर्ट ने इसे सुधारने कहा है।

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