बिलासपुर। फर्जी संस्थान बनाकर 1 हजार करोड़ रुपए के घोटाला मामले में अंतिम बहस अगले सप्ताह होगी। सरकार की ओर से इसके लिए एक सप्ताह का समय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया था कि राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एनके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (राज्य स्रोत निशक्त जन संस्थान एमआरसी) के नाम पर 630 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। स्टेट रिसोर्स सेंटर का कार्यालय माना रायपुर में बताया गया, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है।
एसआरसी ने बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट और एसबीआई मोतीबाग के तीन एकाउंट से संस्थान में कार्यरत अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड से खाते खुलवाए और इसने रुपए निकाले गए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ऐसी कोई संस्था राज्य में नहीं है। सिर्फ पेपरों में संस्था का गठन किया गया था। राज्य को संस्था के माध्यम से लगभग 1000 करोड़ का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा, जो कि 2004 से 2018 के बीच में 10 साल से ज्यादा समय तक किया गया। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने अपना शपथ-पत्र दिया था। इसमें उन्होंने 150-200 करोड़ की गलतियां सामने आने की बात कही थी।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि जिसे राज्य के मुख्य सचिव गलतियां और त्रुटि बता रहे हैं, वह एक संगठित और सुनियोजित अपराध है। कोर्ट ने सीबीआई को जांच के लिए निर्देश दिए थे। इस पर मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी।