बिलासपुर। हाईकोर्ट ने कहा है कि विधि व्यवस्था में न्याय प्रशासन का दुरुपयोग को रोकना जरूरी है। तथ्यहीन मुकदमा पेश कर समय बर्बाद व अधोसंरचना में रुकावट है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दंडित कर 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा विधि व्यवस्था में तुच्छ और आधारहीन फाइलिंग एक गंभीर खतरा है । कोर्ट ने सांस्कृतिक भवन निर्माण के खिलाफ आधारहीन याचिका पेश की गई। कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। इसे रोका जाना है।
चाम्पा निवासी मुकेश तिवारी ने नगर पालिका द्वारा शहर के मध्य में स्थित राम बांधा तालाब को पाटकर यहाँ सांस्कृतिक केंद्र भवन निर्माण किये जाने के खिलाफ याचिका पेश की थी। याचिका में कहा गया था कि लगभग 95 एकड़ क्षेत्रफल के इस राम बांधा तालाब से लोगो का निस्तार हो रहा है। इसे पाट कर भवन निर्माण किया जा रहा है। याचिका में कलेक्टर जांजगीर चाम्पा व सीएमओ नगर पालिका चाम्पा व शासन को पक्षकार बनाया गया था।
कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा। शासन की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि राजस्व रिकार्ड में निस्तारी तालाब दर्ज है। 1998 में कलेक्टर ने तालाब के खाली पड़े हिस्से का मद परिवर्तन कर लीज पर बस स्टेंड, अन्य शासकीय भवन निर्माण के लिए आबंटित किया है। यहाँ बस स्टैंड एवं अन्य कार्यालय चल रहा है। नगर पालिका को नागरिकों के लिए संस्कृति केंद्र भवन निर्माण के लिए लीज पर दिया गया है। 2013 से चल रहे इस मामले को कोर्ट ने आधारहीन व अदालत का समय बर्बाद करने वाला होना पाया है। कोर्ट टिप्पणी करते हुए कहा ऐसे मामले न्याय का प्रशासन का समय बर्बाद करते हैं और रुकावट पैदा करते हैं ।
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न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जाता है । इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। पूरे सिस्टम में अदालतें संस्थागत दृष्टिकोण अपनाती हैं इसका मतलब अराजकता और अनुशासनहीनता तक पहुंच नहीं है। इसके साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए कास्ट लगाते हुए याचिका को खारिज किया है। कोर्ट ने 45 दिवस के अंदर जुर्माना राशि सीएमओ नगर पालिक को देने का निर्देश दिया है।