Bilaspur. यह निर्विवादित सत्य है कि आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा विधाएं हैं। ये विशुद्ध-रूप से भारतीय ऋषियों की देन हैं.
हमारे पूर्वजों का ज्ञान, जीवन व चरित्र कितना उज्ज्वल व महान् था। आज चिकित्सा-िवज्ञानी रोगों के जिन मूल कारण की विवेचना करते हैं, वे सब उन्हें उस समय विदित थे। जैसे कि आज चिकित्सा विज्ञान में सब रोग मूलतः सात कारणों से उत्पन्न माने जाते हैं
आनुवांशिक रोग (Genetic disease)
जीवाणु एवं विषाणु जन्य रोग (Bacterial/Viral disease)
पर्यावरणीय दुष्प्रभाव से उत्पन्न रोग (Envirolnmental disease)
दोषपूर्ण जीवन शैली एवं तनाव से उत्पन्न रोग (Life style disease)
नशाजन्य रोग
रोग के कारण् ा से रोग अर्थात् बीमारियों के उपद्रव (Complications)
दवाओं के कुप्रभाव से पैदा होने वाले रोग।
इन सब रोगों के निदान व उपचार की पूरी व्यवस्था हमारे ऋषियों को वैदिक-काल में ही विदित थी।
आयुर्वेद क्या है
प्रकृति आधारित इस पुरातन चिकित्सा पद्धति में शारीरिक संरचनाओं, प्राकृतिक क्रियाओं और ब्रह्मांड के तत्वों के समन्वय के सिद्धांत पर इलाज का प्राविधान है।
आयुर्वेद अनेक बिमारियों में कारगार है जैसे थाइरोइड, स्वास रोग, साइटिका, कमर दर्द, लकवा, सोरायसिस, इनफर्टिलिटी, पथरी आदि . आयुर्वेद के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर मनोज चौकसे ने कहा, आज कल जो ज्यादातर बीमारियां हो रही है उनका अधिकतर कारण लाइफ स्टाइल में बदलाव ज्यादा है. इसे ठीक कर कई समस्या से बचा जा सकता है. इसी कड़ी में अरपा पुल मेन रोड, नेहरू चौक स्तिथि वैध शाला में 19 से 21 जुलाई निशुल्क शिविर का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें इन समस्यों को लेकर परामर्श दिया जाएगा.