Bilaspur. वित्त मंत्री ने लिथियम पर सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट देने का प्रस्ताव दिया है। लिथियम इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग सहित कई क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख कंपोनेंट है। साथ ही तांबा, कोबाल्ट और दुर्लभ अर्थ एलिमेंट्स (पृथ्वी तत्वों) पर भी छूट का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा, उन्होंने इनमें से दो सामग्रियों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को कम करने का सुझाव दिया है।
वित्त मंत्री के इस एलान से ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि भविष्य में भारत में इलेक्ट्रिक कारें सस्ती हो सकती हैं। ऐसा मानने के पीछे वजह यह है कि किसी भी इलेक्ट्रिक कार में सबसे ज्यादा महंगा उसका बैटरी पैक होता है। ऐसे में बैटरी सस्ती होगी तो इससे कार की कीमत में भी कटौती होगी।
लिथियम के सस्ता होना का असर बैटरी के निर्माण लागत पर पड़ेगा। जिससे लिथियम आयन बैटरी सस्ती होगी। कार की बैटरी सस्ती होने पर वाहन निर्माता इलेक्ट्रिक वाहन की कीमतें कम कर सकते हैं। इस समय, इलेक्ट्रिक कार खरीदने की एकमुश्त लागत (अपफ्रंट कॉस्ट) बहुत ज्यादा है। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में आड़े आने वाले कई कारणों में ईवी की ज्यादा कीमत भी एक बड़ी वजह है। भारतीय सरकार इस दशक के आखिर तक देश की कुल वाहन बिक्री में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की 30 प्रतिशत पैठ का लक्ष्य लेकर चल रही है.
पैदा होंगी नई नौकरियां
वित्त मंत्री ने मैन्युफेक्टरिंग सेक्टर (विनिर्माण क्षेत्र) में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना का एलान किया। जिसे पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार से जोड़ा जाएगा। यह योजना रोजगार के पहले चार वर्षों के दौरान ईपीएफओ अंशदान के संबंध में कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
इसका मकसद 30 लाख युवाओं को लाभ पहुंचाना और सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार को कवर करना है। सरकार प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए ईपीएफओ अंशदान के लिए नियोक्ताओं को दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह तक की प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) करेगी। इस पहल का मकसद 50 लाख अतिरिक्त लोगों को रोजगार के लिए प्रोत्साहित करना है।