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High Court Breaking : शिवनाथ नदी में डिस्टलरी के प्रदूषण से मछलियां मरने पर हाईकोर्ट की कड़ाई पूछा- पर्यावरण बोर्ड ने क्या कार्रवाई की






बिलासपुर। शिवनाथ नदी में लाखों मछलियां और मवेशी मरने की घटना पर हाईकोर्ट ने पूछा है कि इस प्रकरण में एसडीएम की जांच के बाद पर्यावरण मंडल ने क्या कार्रवाई की? कोर्ट ने भाटिया शराब डिस्टलरी संचालक को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं।प्रकरण की अगली सुनवाई 30 जुलाई को निर्धारित की गई है।

  

दो दिनों पूर्व समाचार माध्यमों और सोशल मीडिया पर यह जानकारी आई थी कि शिवनाथ नदी में शराब डिस्टलरी का प्रदूषित पानी और केमिकल सीधे नदी में डाले जा रहे हैं। इससे ग्राम मोहभट्ठा, धूमा में हजारों की संख्या में नदी की मछलियाँ मर चुकी हैं। कुछ मवेशी के शव भी नदी किनारे मिले। हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड किया है। उल्लेखनीय है लोकसभा चुनाव में भी ग्रामीणों ने इस मुद्दे को उठाते हुए मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी थी। अधिकारियों की समझाइश पर वे माने थे। प्रकरण में मुख्य सचिव, आबकारी विभाग, पर्यावरण विभाग, मुंगेली कलेक्टर, एसपी, आबकारी उपायुक्त को पक्षकार बनाया है।






सुनवाई के दौरान डिस्टलरी संचालक के अधिवक्ता के जवाब पर चीफ जस्टिस ने  नाराजगी जताई। उन्होंने फ़ोटो दिखाते हुए कहा कि इतनी सारी मछलियां किसानों के पास कहां से आएगी। कोई मरी मछली को नदी में क्यों छोड़ेगा। चीफ जस्टिस ने भाटिया वाइन के अधिवक्ता से पूछा कि शिवनाथ नदी में आपके डिस्टलरी से पानी छोड़ा गया है या नहीं? इस पर अधिवक्ता ने हां में जवाब दिया। दरअसल डिस्टलरी संचालक का कहना था कि फिश फार्मर ने ही नदी में मरी मछलियां डाल दी हैं। 






राज्य शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए डिवीजन बेंच को बताया गया कि अप्रैल में एसडीएम बिल्हा ने इसे संज्ञान में लेते हुए पर्यावरण संरक्षण मंडल को पत्र लिखकर जांच के लिए कहा था। कोर्ट ने पूछा कि जांच कहां तक पहुंची और रिपोर्ट में किस बात की जानकारी दी गई है,विधि अधिकारी इसका जवाब नहीं दे पाए। प्रमुख पक्षकार भाटिया वाइन मर्चेंट की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि फैक्ट्री विधिवत अनुमति लेकर चलाई जा रही है। राज्य शासन के अलावा पर्यावरण संरक्षण मंडल के नियमों व शर्तों का पालन किया जा रहा है।





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