बिलासपुर। बिलासपुर निगम के परिसीमन के विरोध में लगी याचिका पर हाईकोर्ट में सोमवार को दिन भर सुनवाई हुई। मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। सोमवार को सुबह लगभग 11 बजे सुनवाई शुरू हुई। निगम ने जवाब के लिए समय लिया और ढाई बजे कुछ आंकड़े प्रस्तुत किए। इसमें कहा कि निगम क्षेत्र में कई वार्डों से झुग्गियां हटाकर अन्य वार्डों में पीएम आवास योजना के अंतर्गत शिफ्ट की गईं हैं। इसलिए फेरबदल जरूरी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि शासन 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन की जानकारी दे रहा। आप झुग्गियां हटाने के आधार पर परिसीमन की बात कह रहे हैं। वस्तुस्थिति क्या है?
निगम का तर्क था कि शहर के कई क्षेत्रों से झुग्गियां हटाकर अन्य वार्डों में शिफ्ट की गई हैं। इससे ढाई हजार से ज्यादा परिवार अन्य वार्डों में चले गए और जनसंख्या अनुपात बदला है। इस पर कोर्ट ने परिसीमन के लिए निगम और शासन के आधार अलग अलग होने पर सवाल उठाते हुए शाम साढ़े 4 बजे फीड सुनवाई तय की। शाम को बहस अधूरी रहने पर आज मंगलवार को भी सुनवाई जारी है।
उल्लेखनीय है कि बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। पूर्व कांग्रेस विधायक शैलेश पांडे और शहर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। राज्य सरकार इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कर चुकी है।
जब आधार एक ही है तो इस बार फिर क्यों परिसीमन किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है। पुरानी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार जनता को परेशान करने के लिए परिसीमन कर रही है। इससे कोई लाभ नहीं होगा।